तुलसीदास का घर बार | Tulsidas Ka Ghar Bar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.99 MB
कुल पष्ठ :
390
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के समय एड्टाजी पहुंची थी, शोर इसने लगभग दो परलाइ की दूरी दे
सुग्ल-हप्राद कर के लिए गद्टाजल श्रागरे जाता या | कष्ठ रद
सूवार सप्र मादात्स्प है
इषादास दूत | इमें तुलसीदास-नन्ददास की चशावलों का पर्याति ,
नगोन है । शिपसद्वाय की मक्ति स० इद७० | पृष्ठ र४६
रामचरित मानस
गोस्वामी तुलसीदास ने अपने शिप्यों से नकल करा के सोरों निकसी
श्रापने भत्ठीने ( अर्थात् मदाकषि नन्ददाह के पुन ) कवि कृप्णदास को
सापूर्णा 'शम चरिति मानस” प्रदान किया था | प्ठ २६८
लुलसी-स्थान गे
योगमार मोहल्ला, शोगें ( जिला पडा ) यहाँ से श्राज भी शोग
कनबर की शान्ति के लिए. की ले नाते हैं । यदद स्थान अब कच्चे पर
सूपमें है, इसमें शरीर इसके झात पास मुसलमान [रहे हैं । २६९
जुमसीदास का इस्तलेख न
सम्पतु १६४३. मि« में, राम 'चरितसानतण के श्ारयय कार्ड पर
ओस्वामी तुलसीदास के हाथ से संशोधित आधी चौपाई श्रीर दुछ श्रक्षा---
ब्दे सदा श्रप खग गन चधिका; जग, हा] त, श्रति । पृष्ठ २६६
जुलसी-प्रतिमा
गोस्वामी तुलठीदात की यह प्रतिमा बाराइ मन्दिर शरीर घाद के
सामने, 'हरि की पैरी' नामक जलाशय में, सन् १६४३ ई० में, स्थापित
हुई थी । पट रेर८
के
(ढ़)
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