तुलसीदास का घर बार | Tulsidas Ka Ghar Bar

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Tulsidas Ka Ghar Bar by गोविन्दवल्लभ पन्त - Govindvallabh Pant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के समय एड्टाजी पहुंची थी, शोर इसने लगभग दो परलाइ की दूरी दे सुग्ल-हप्राद कर के लिए गद्टाजल श्रागरे जाता या | कष्ठ रद सूवार सप्र मादात्स्प है इषादास दूत | इमें तुलसीदास-नन्ददास की चशावलों का पर्याति , नगोन है । शिपसद्वाय की मक्ति स० इद७० | पृष्ठ र४६ रामचरित मानस गोस्वामी तुलसीदास ने अपने शिप्यों से नकल करा के सोरों निकसी श्रापने भत्ठीने ( अर्थात्‌ मदाकषि नन्ददाह के पुन ) कवि कृप्णदास को सापूर्णा 'शम चरिति मानस” प्रदान किया था | प्ठ २६८ लुलसी-स्थान गे योगमार मोहल्ला, शोगें ( जिला पडा ) यहाँ से श्राज भी शोग कनबर की शान्ति के लिए. की ले नाते हैं । यदद स्थान अब कच्चे पर सूपमें है, इसमें शरीर इसके झात पास मुसलमान [रहे हैं । २६९ जुमसीदास का इस्तलेख न सम्पतु १६४३. मि« में, राम 'चरितसानतण के श्ारयय कार्ड पर ओस्वामी तुलसीदास के हाथ से संशोधित आधी चौपाई श्रीर दुछ श्रक्षा--- ब्दे सदा श्रप खग गन चधिका; जग, हा] त, श्रति । पृष्ठ २६६ जुलसी-प्रतिमा गोस्वामी तुलठीदात की यह प्रतिमा बाराइ मन्दिर शरीर घाद के सामने, 'हरि की पैरी' नामक जलाशय में, सन्‌ १६४३ ई० में, स्थापित हुई थी । पट रेर८ के (ढ़)




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