विश्व सभ्यता का संक्षिप्त इतिहास | Vishwa Sabhyata Ka Sankshipt Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मगैतिंदासिक काल की.मानव सम्यता हर +. कि को परिचय दिया। उसे पत्थरों के श्रौजार बनाने में - किसी विशेष सोच विचार की श्रावश्यकता से थो. यश्यपि ये श्रौज्ञार भी काफी महत्वपूर्ण थे. लेकिन भातुशं के श्लौजार बनाने में उसे पहले धाठुशओं के पिघलाने और श्रौजारों का. आकार निशिवत करने के लिये पहले से ही सोचना पड़ता था। इसीलिंये श्रत्यन्त प्राचीन कांल में सुमारों शौर -सुहारों . की विशेष शक्ति सम्पन्न समझा जाता था । ं ं साँचि के. युग के बाद कांस्य सुग को सभ्यता का श्ारम्न होता है। काँसि को बनाने के लिये काकी चंतुंराे की . ः ांवश्यंकता थी । तनि श्ौर टीन को मिला कर कांसा बनाया जाता थां। परन्तु इनके श्ौजार इसने सभबूत नहीं होते - थे जितने मजबूत केवल तांगे के श्रौज्ञार होते थे। एलिया की सम्यता को कॉंस्यकालीन सम्यता कहते हैं । तांबे के बाद लोड का ऋामिष्कार हुआ । लॉहि का प्रयोग करना सब -से पहले हिटटाइंट लोगों ने ही संवार . की सिखाया । बाद में.एसीएिया बाहों ने लोहे का मवोग सपस्त पश्चिमी एशिया में फैला दिया । फिर कुछ दिंगों बाद सस्पूर्ण समय... संसार लोदे से परिखित हो या. हम राज लिस युग में रह रहे हैं वह लौह यूंग कहा जा सकता है। धातुओं का प्रयोग जान कोने के आजाद. प्रागीतिह[सिक -मनुष्य ने जो शौलार श्रौर हथियार बनाये थे उनमें सुधोरजनक परिवतनर . अठारहनी शताब्दी की शौद्योगिक क्रान्ति के बाद किये गये इसी बात से हम घाह युग का महा समक सकते हैं । झभी तक हमने प्रारतिह्ासिकं मनुष्य की . भौतिक सस्यता पर ही शिवार . फ़िंया है किन्तु हमें उसके. मांवतिक- दि विचार उसकी मावनाशों तथा उसके रीति खिनों का भी झ्रध्ययन कर लेना वाहिये । ग प्रारी तिहासिंकं समुष्य के विचार और रीति परेबाज हुमीरे झध्ययन का श्रांारं केवल यही हो. सकता है हंकि हम आज श्रसभ्य मानते दध्ययनः करें. गौर यह स्वीकार कर लें-कि दस. कार के संभी . मनुष्यों. की विचार थ भी के पं उन परिवार का झवपिं गगे हू नया जवान नदइ पास नया ने | एय कात उरपराम अत बीते एंवक बाय तह ढ़ अन्ज्थ की बस गम ध द कद व व दी मि पििनिद अर दे सखी] थुन्डिस्‍्। का दान थ एव दा हे सूद ड 1. संद ही १८ का कि जी कै न पर अनकन फिचठि थे चेक चनका दा दो दिन दी कोड कराए सफर फि दसारा इस सात फेा खनन. पारोधिहािव पल सविविनरदल दर नव जीनत चर छुव्ट घदारा जसरय चलेगा है + करा रा ्य कक कक ह द न अं कि न न पेय सरिय ल सीपिचय पर एन उन रस है । चोट के समय धागा दस री रदाय से नगत दूं षिं सु दे न दे 2 यू लग न दो काना री रस प्लोव पक सदन पद कप फुलनदन संचा द्मगरा रिपारों को दस सुने चुद बह खफा के । सार गो) रस हा प न ५०. दर कि थाना मोदी में बनोप को योमूदिक इस्सर पिस रेफध से संघ भं 16 नानी 5 [सामिस्लसिक प्र आल जनों रद न पिएं र्माविश चननो पी ले एस शा कांखियं के कफ सपा स्लातिंगी ससपित सन का सूँफिध सवा द। सार सु. खान (सवा ना से थी नहर सहुष्य के शरीर . कक ढ़ देन ४ दर लि शु सर पर है चर रन कते लिवर कद शीति गा रमन दो पुर पवन की ह इक दर स्व दी साली जा रमुटान आस दी. का | नाखि रा पर्दा धात कर एम




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