सावित्री | Savitri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुधमा अपर्णा सुषमा अपां सुषमा अपर्णा सुधमा अपाँ सुषमा 4 13 और आपकी माँ (क्षण भर कुछ रुव वर पीड़ा से) भांग गई । हमारे ही समीत क्लास के मुस्लिम तबलनवाज के साथ 1 उसके भाग जाने के वाद बस एक साल के भीतर नाना- काका चल यसे वह सदमा वरदाइत नहीं कर सके । सॉरी मुझे आपसे यह सब नही पूछना चाहिए था। नहीं जी चैसे भी तो कभी न कभी आप को इस बात का पता तो लग ही जाता । और सच पृछिए तो आजकल इस बात से मुये कोई खास परेशानी भी नही होती । आाती है कभी मिलने ? कौन अप्पा मैं उन्हे अप्पा कहा करती थी। नहीं जी नानाकाका वी मौत की खबर मिलने पर एक बार आई थी पर उस वक्त सभी लोगो ने उसे निकाल बाहर किया । वायजी के घर जाना तो सभव ही नहीं था। वह तो उसे फाड कर कच्चा चबा जाती-- (विपय बदलन के इराद सं) आप आजकल फिल्‍म में काम नहीं करती ? (विषाद सं) नहीं अब नौकरी जेठाभाई सालिसि- टसे के पास नौकरी और गृहस्थी । गिरसती और गिरस्ती वे गिरस्ती की दुनिया-- (विपादपू्ण ह्सी) नौकरी की जरूरत है कि जरूरत निंहायत जरूरत अजी विधाम को अब काम नहीं मिलता । वह मुझसे उमर मे पद्रह साल वडे हैं । पचास के करीब हैं । अब उसे बयोकर काम




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