संसार की श्रेष्ठ कहानियाँ भाग 5 | Sansaar Ki Shreshth Kahaniya Bhag 5

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Sansaar Ki Shreshth Kahaniya Bhag 5 by लक्ष्मण सहाय माथुर - Laxman Sahay Mathur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इटली शत्र लेखिका--कारोला पोस्पैरी बाहर से बीबी ने उसे पुकारा तब वह श्रपने कमरे में सिगार सुख मे दबाये खिड़की के पास मेज़ पर कुदनी टेके बाहर की ओर एकक- टक दृष्टि सै देख रहा था । पीयेत्रो मैं अन्दर आरा जाऊं १ बड़ी जरूरी बात तुम्दे बतानी है । क्योंकि भीतर से कोई उत्तर नहीं झ्राया वह कुछ देर चुप रद कर फिर बोली--केवल एक क्षण के लिये झ्राने दो बहुत ही जरूरी बात है तुम्हे सुनना दी दोगा ।? .. उसने दरवाज़ा खोल कर जरा शरमाते हुये मुसर्करा कर चुमा प्रारथना-सी दिखाई और चुपचाप पंजों के बल चल कर आईं । तुम बहुत छिंगरेट पी रहे हो । स्वास्थ्य के लिये यह अच्छा नहीं है तुम तो जानते हो ..यहाँ अँपेरे में क्यों बैठे हो ? घुश्मों उड़ाने के लिये श्रपने रेशमी रूमाल से उसने दवा करने की. पेश की उसके रेशमी बख्र हिलने के कारण हवा में पत्तों की तरह खस-स-स शब्द करने लगे । हीरे के ईयर-रिंग अँघेरे में जुगनू की तरद चमक उठे । उस दिन घर पर दावत था इसलिये कह खुब सजी हुई थी। + अजिजी दिखाते हुये उसने खूब मुँह फाड कर जम्दहाई ली उठ कर बत्ती का बटन दबा कर रोशनी कर दी और वैसा का वेसा ही खड़ा रहा । झपनी बीबी की शोर वह बड़ी परेशानी श्रौर जुन्ध दृष्टि से देख _. रख & भा० १७




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