अमरीका में मजदूर आन्दोलन | Amrika Me Majdur Andolan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24.51 MB
कुल पष्ठ :
518
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रौपनिवेशिक श्रमरीका ह
इनमें स्त्री, पुरुष व बच्चे सभी है, श्रतेक दक्ष कारीगर है--जैसे
लुहार, मोची, दर्जी, बढई, जायनर, एक कुपर (टीन का काम करने
वाला), कई चादी के कारीगर, जुलाहे, एक जौहरी व श्रन्य कारीगर
है। विक्री २ श्रप्रैल, मगलवार को रैपनहाक नदी पर लीड्स टाउन
में शुरू होगी । टामस हैज को मजुरशुदा जमानत श्रौर बाण्ड दिए
जाने पर मुनासिब ऋण भी मिल सकेगा । --थोमस हॉज
भ्रगर प्रवेश के बन्दरगाह में बिक्री नही हो पाती थी तो रिडेम्पशनरों को
लाने वाले उन्हें श्रागे हाक ले जाते थे, बिल्कुल भेड-बकरी की तरह श्रौर तब
सावंजनिक मेलो में उन्हे नीलाम किया जाता था ।
बाहर से नौकर लाना बडा सुफीद काम था । कुछ बस्तियो में प्रत्येक
भ्रावासी को ५० एकड़ जमीन की मिल्कियत प्रदान की जाती थी श्रौर प्रतिज्ञा
बद्ध नौकरो की बिक्री तो सदा' होती ही थी । हट्टे-कट्टे किसानों श्रौर
विशेषकर दक्ष कारीगरो की प्राय बहुत ऊँची कीमत मिलती थी | १७३६ में
विलियम बायडे ने राटरडम में श्रपने एजेन्ट को लिखा कि वह बडी सख्या में
भेजे गए नौकरों को भी सम्हाल सकता है । “मै नही जानता कि जो पैलाटाइन
अपना किराया नही चुकाते वे फिलाडेल्फिया में कब से बिक रहे हैं । किन्तु
यहा वे चार वर्ष से बिक रहे है श्नौर उन पर ६ से € पौण्ड तक मिल जाते
है। बड़े व्यापारी १० पौण्ड तक भी दे सकते हैं । श्रगर ये कीमतें ठीक जचें
तो मुझे विश्वास है मै, प्रतिवष॑ दो जहाज भरे यात्री बेच सकता हूँ . ”
प्रतिज्ञा-बद्ध मजदूरों के साथ जैसा वर्ताव होता था उससे काफी भिननताएं
होती थी। १७ वी सदी के जाँन हैमण्ड के वर्णन में बताया गया है कि “लीह
और रादशेल, या दो भाग्यशाली बहनों वर्जीनिया' श्रौर मेरीलेण्ड को इतना
कठिन भ्रौर ज्यादा श्रम नहीं करना पड़ता था जितना इग्लैण्ड मे किसानो या
हाथ के कारीगरो को ।” काम के घण्टे सूर्योदय से सुर्यास्त तक होते थे लेकिन
रर्भियो में दोपहर को ४ घण्टे विश्वाम मिलता था, शनिवार को झ्राधे दिन काम
करना होता था श्रौर सेव्बथ श्रच्छे कामों में बीतता था “एक प्रतिज्ञाबद्ध नौकर
जॉजे ब्रालसप्प ने स्वय १६५६४ मे मेरीलैण्ड के जीवन का करीव-करीब प्रशसनीय
चित्रण किया है । उसने कहा, “इस प्रान्त के नौकर, जिन्हें इग्लैड मे लोग “गुलाम”
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