राधाकृष्ण ग्रंथावली | Radha Krishna Granthawali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
216.27 MB
कुल पष्ठ :
833
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्८
राघाऊष्ण-यंघावलों
जल पियत सिंह अर अजा साथ |
विद्युत ठाढ़ी जहूँ बाँघि हाथ ॥।
जा सम न श्रौर तिय सुनी कान |
जनमे न जगत नर जा समान ॥।
जाकी न दया को कहूँ अंत |
लहि जासु छाँह सब सुख बसंत |
जा जीव मात्र पे करत प्रीत |
मनु निज कुटुंब सम सबे मीत ॥।
सुनि जासु सुधा सम मधुर बेन ।
सब प्रजापुज अति लहत चेन ॥।
अति कृपा प्रेम भरि जासु दीठ |
लखि, रत प्रजा के दुखह्ति नीठ
सा असित गणुननि की रासि सात |
हा हा ! चिनु जीवन है लखात ||
तजि सबे दया अर माह हाय |
सुरलोक गई केसे सिधाय ||
वसनर पर
तजि अखिल भुवन सागर अगाघ |
भुव तीन हाथ कीन्हों समाध ||
हा हा ! यह दुख नहिं सद्यों जात |
चहुँ ओर यहे धघुनि है सुनात ||
हा मातु ! हाय हा मातु हाय !
तजि नेह किते तू छिपी जाय ॥
बोालत न हाय क्यों निठुर होय |
देखे न पुत्र तुव रहे राय ||
User Reviews
No Reviews | Add Yours...