राधाकृष्ण ग्रंथावली | Radha Krishna Granthawali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Radha Krishna-granthawali by श्यामसुन्दरदास - shyamsundardaas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

Add Infomation AboutShyam Sundar Das

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्८ राघाऊष्ण-यंघावलों जल पियत सिंह अर अजा साथ | विद्युत ठाढ़ी जहूँ बाँघि हाथ ॥। जा सम न श्रौर तिय सुनी कान | जनमे न जगत नर जा समान ॥। जाकी न दया को कहूँ अंत | लहि जासु छाँह सब सुख बसंत | जा जीव मात्र पे करत प्रीत | मनु निज कुटुंब सम सबे मीत ॥। सुनि जासु सुधा सम मधुर बेन । सब प्रजापुज अति लहत चेन ॥। अति कृपा प्रेम भरि जासु दीठ | लखि, रत प्रजा के दुखह्ति नीठ सा असित गणुननि की रासि सात | हा हा ! चिनु जीवन है लखात || तजि सबे दया अर माह हाय | सुरलोक गई केसे सिधाय || वसनर पर तजि अखिल भुवन सागर अगाघ | भुव तीन हाथ कीन्हों समाध || हा हा ! यह दुख नहिं सद्यों जात | चहुँ ओर यहे धघुनि है सुनात || हा मातु ! हाय हा मातु हाय ! तजि नेह किते तू छिपी जाय ॥ बोालत न हाय क्यों निठुर होय | देखे न पुत्र तुव रहे राय ||




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now