मानस की राम कथा | Maanas Kii Raamkathaa

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Maanas Kii Raamkathaa by परशुराम चतुर्वेदी - Parashuram Chaturvedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about परशुराम चतुर्वेदी - Parashuram Chaturvedi

Add Infomation AboutParashuram Chaturvedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
न्नन श न सिवाय उसे ठीक-ठीक सं० १६०० ही मान छेने पर कवि की कुछ प्रौढ़ कृतियों का भी रचनाकाल उसके अपेक्षाकृत अल्पवयस में पड़ जाता हैं जिससे उसमें संदेह होने लगता है । उधर सं० १५५४ का समर्थन राम चरित मानस की मानस मयंक नामक प्रसिद्ध टीका के रचयिता पं० शिवलाल पाठक करते हूं और मुलगोसाई चरित के लेखक की उक्ति के अनुसार उसके साथ मास तिथि कग्न आदि के विवरण भी दिये गये मिकते हूं तथा कई विद्वानों के कथनानुसार यही सबसे प्राचीन मत भी ठटह्रता हैं। किन्तु सं० १६८० को गोस्वामी जी की निधन तिथि मान छेने पर मृत्यु के समय उनकी अवस्था १२६ वर्षों तक की सिद्ध होती है । उनकी कतिपय रचनाओं का निर्माण-काल भी उनकी अत्यन्त वृद्धावस्था में पड़ता हूँ । इसके सिवाय मूल गोसाई चरित में दिये गए विस्तृत विवरण के आधार पर भी यह समय बुद्ध उतारता हुआ नहीं जान पड़ता । दोष दो संवतों अर्थात्‌ सं० १५८३ एवं १५८९ में से प्रथम के पहले लगभग वाव्द जुड़ा हुआ होने से दोनों के वीच का अन्तर इतना नहीं रह जाता जिस पर समभौता न हो सके । फलत केवल सं ० १५८९ के विषय में विचार करने पर भी कोई हानि नहीं है। सं० १५८९ का संवत्‌ देते हुए घटरासायन के रचयिता ने जो उपयुक्त तिथि वार आदि का विवरण दिया है वह गणनानुसार थुद्ध है और उसे पं० रामगुलाम द्विवेदी डा० ग्रियसंन जंसे लोगों ने भी स्वीकार किया है। इसके सिवाय इसे स्वीकार करते समय कोई ऐसी अइचनें भी नहीं आतीं जिनकी ऊपर चर्चा की गयी है । अतएव इसे मान लेने की ओर अधिक प्रवृत्ति होती है। संभव है उनकी जन्म-तिथि भादों सुदी ११ मंगलवार संवत्‌ १५८९ ही रही हो और श्रावण कृष्ण ३ दानिवार संवत्‌ १६८० के लगभग ११ वर्ष की अवस्था में वे मरे हों । जन्म-स्थान--योस्वामी तुलसीदास के मुत्यु-स्थान काशी पर एकसत होते हुए भी लोग उनके जन्म-स्थान के सम्बन्ध में विभिन्न मत रखते हैँ । पहले इसके लिए चार नाम लिये जाते थे--हस्तिनापुर चित्रकूट के निकट वत्तेंमान हाजीपुर तारी मानस सयंक (बाँकीपुर) १३५ वाँ दोहा । डा० साताप्रसाद गुप्त तुलसीदास (प्रयाग) पृ ० ५६३-७३।॥ रे




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now