श्री हनुमान अंक | Shri Hanuman Ank

Shri Hanuman Ank by विभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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+# धीदनुमानजीका निकाल-सारण + श्रीरनुभानजीका निकाल-स्मरण श्रीदनुगानमीर अत्यन्त धद्ाल उपासकोंदों यादिये कि ये तीनों काल शीदउुमानजीका स्मरण प्यान करें | कितु यदि ऐसा सम्भय पे दो सो प्रात या सायवाल ही नेकालिक ध्यान पूजा एक साथ भी कर सकते हैं | ध्यानडे दडक माधार्थसदित यदों दिये जा रहे हूँ -- (है) प्रात? सरामि .... दनुमन्तमनन्तवीय श्रीरामचन्द्रचरणाम्बुजवश्वरीकम 1 ठफ्ापुरीददननन्दितदेवब्रन्द सवौर्थिद्विसिदन प्रथितप्रभावमू )। जो भीरामनन्द्रजीके चरण कमलोकि भ्रमर हैं जिद्दोने लकापुरीको दर्थ करके देयगणकों आनन्द प्रदान किया है जो सम्पूर्ण अब सिद्धियोरि आगार भर लकरिशुत प्रभावशाली हैं उन अनन्त परामशादी दनुमामजोका में प्रात काल स्मरण करता हूँ । (२) माध्य.... नमामि... श्रजिना्णयतारणेका- धार का ए । सीता 55घिमिन्धुपरिशो चन्दास्कल्पतरुमन्यपमाज्नेयम ) जो भवसागरते उद्धार वरनेये एकसाश्र साधन और दरणागतके पालक हैं जिनका अनुपम प्रमाव॑ स्पंवरिस्म्यात है जा सीताजी की मानतिंक पीडारूपी लियुके शोषण-कार्यम परम प्रवीण और बन्दना गरनेवालोके लिये कस्पत्रु्त हैं उन अपिनासी अज्नात्दन दनुसानजीकों मैं सम्याइकालमें प्रणाम करता हूँ । (रे) साय... भजामि.... शरणोपसृताखिलार्ति पुप्लप्रणाधनविधी प्रथितप्रतापमू ) अधान्तफ सफलराधमवरपूम केतु. प्रभोदितपिदेदसुत दयाठुमू ॥ दरणागतोंके सम्पूण दुखसमूदका बिनाप करनेमें जिनका प्रताप लोकप्रत्डि है मो अशकुमारका वघ करनेवाले और समस्त शधसवधके लिये धूमकेतु ( अमि अयवा केतु ग्रदके तुल्य सदाग्क ) हैं एव जल छीताजीकों आनंद प्रदान किया है। उन दयाछ इनुमानजीका मैं सायकाल भजन करता हूं ) पी ौनट कि केनननन




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