पिंगल - सार | Pingal Saar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.13 MB
कुल पष्ठ :
113
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(९३ )
सूचना--(क) सम्वतादि वड़ी संख्यामें केवल ६ तक के
अंक काममें आते हैं ।
(ख) उक्त नामोंके अतिरिक्त इनके पर्य्याय-चाची
शब्द भी लिखे जा सकते हैं ।
(ग) 'छोक' शब्द ३ का भी वोधक है और ७ का
भी 'दोप' ३ और १०का सूचक है । ऐसे भ्रमों-
त्यादक शब्द जिनके एकसे अधिक अर्थ हों न
छिखो ।
(घ) इकाई, ददाई, सें कड़ा, हज़ार आदिकी आप
जानते ही हैं । इकाईके वाद वाई ओरकों जो
दूसरा अड्ड लिखते हैं वह दाई, तीसरा सं कड़ा,
चौथा हज़ार है इसो क्रमके अनुसार संख्या
चाचक शब्दोंसे भी संख्या वनाते हैं । जैसे ३६
लिखना है. तो यूं कहेंगे ऋतु+-गुण | या दुर्शन+
काल। २४६ लिखना हैतो अड्+वेद+नेत्र इत्यादि
छन्दके लचण
जिस वाक्यरचनामें मात्राओंकी समान गिनती, लघु गुरु
वर्णोका क्रम, विराम, ( अर्थात् किसी स्थानमें ठहरना, इसीकों
“यत्ति” कहते हैं ) गति, और प्रास आदिका नियम पाया जाय
चह छन्द है। छन्द दो प्रकारके होते हैं. “वैदिक” “लौकिक” ।
पे
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