हलवासिया स्मृति - ग्रन्थ | Halvasia Smiriti Granth

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Halvasia Smiriti Granth by रामसिंह - Ramsingh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जम. लि रू तक उसकी ससद के सदस्य रहे है। टस्ट को सुदढ बनाने मे उ होने महत्त्वपण काय किया है । विद्वभारती मे हिंदी भवन की स्थापना ट्रस्ट की ही सहायता से सन १९३६ में हुई। सन १९४५ से १९४८ ई० तक हिन्दी भवन का पूरा खच ट्रस्ट ते बहन किया । इवर हाल में हि दी भवन के पुस्तकालय भवन का विस्तार, विश्वभारती पत्रिका का पुनप्रकाशन, हलवासिया शोब ग्रल्थ माला के प्रकाशन की योजना टस्ट द्वारा प्रदत्त आधिक सहायता से ही कार्या वत हो सकी है। विश्वभारती के कार्यों मे श्री कानोडिया जी तथा श्री पुरुपोत्तमदास जी हलवासिया सक्रिय रुचि छेते है। अत जब विद्वेद्वरलाल जी हलवासिया की जन्मशत वापिकी के अवसर पर स्मति ग्रथ निकालने का प्रस्ताव किया गया तो विश्वभारती के उपाचाय ने मुझे उसका सपादन भार लेने के लिए सहष अनुमति दी । उदारचरित सज्जनो के प्रति श्रद्धा निवेदन करना हमारी सस्क़ति का महृत्त्वपूण अग हू । मुझे प्रस नता ह कि इस काय ढ्वारा कीतिक्षेप विद्वेद्वरलाल जी हुलवासिया के प्रति श्रद्धा निवेदन करने का मुझे अवसर मिला । ग्रथ के लिए जितने लेख हम चाहते थे उतने प्राप्त न हो सके विद्वानों से लेख लिखवा लेना बहुत कठिन काय हू । जिन विद्वानों ने अपने लेख भेजे हू उनके प्रति में अ।भार प्रकट करता हूँ। हिन्दी भवन के भित्ति चित्रों क॑ चित्र तयार करने मे कलाभवन के श्री डेविड तथा आवरण पष्ठ पर शीषक लिखने के लिए हिन्दी विभाग के रिसिच फेलो श्री रणजीतकुमार साहा तथा नाना प्रकार से सहायता करने के लिए डा ० देवनाथ चतुर्वेदी, डा० द्विज राम यादव एव प्रूफ सशोधन के लिए डा० ( कुमारी ) ऊर्मिला दार्मा का में आभारी हू । हिंदी भवन, शाततिनिकेतन । रास सिंह तोमर




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