कबीर का रहस्यवाद | Kabeer Ka Rahasyavaad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.34 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ रामकुमार वर्मा - Dr. Ramkumar Varma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कबीर का रहस्यवाद कहत कबीर यह झकथ कथा है कहता कही. न. जाई। कबीर के समालोचकों ने झभी तक कबीर के शब्दों को तानपूरे पर गाने की चीज़ दी समभक रक््खा है पर यदि वास्तव में देखा जाय तो / कबीर का विश्लेषण बहुत ही कठिन दे । वद्द इतना गूठ और गंभीर है कि उसकी शक्ति का परिचय पाना एक प्रश्न हो जाता है । साधारण समभने बालों की बुद्धि के लिए. वद्द उतना दी श्रग्राह्यम है जितना कि शिशुत्रों के लिए माँठाद्दार । ऐसी स्वतत्र प्रबुत्ति वाला कलाकार किसी साहित्य-त्षेत्र में नहीं पाया गया । वद्द किन किन स्थलों में विद्ार करता है कद्दाँ कहाँ सोचने के लिए जाता हे किस प्रशान्त वन-भूमि के वातावरण में गाता है ये सब स्वतंत्रता के लाघन उसी को शात थे किसी श्रन्य को नहीं । उसकी शैली भी इतना श्रपना-पन लिए हुए है कि कोई + उसकी नक़ल भी नदीं कर सकता । अपना विचित्र शब्द-जाल अपना स्वतंत्र भावोन्माद श्रपना निमंय श्लाप श्रपने भाव-पू्ण पर बेढगे चित्र ये सभी उंसके व्यक्तित्व से झोत-प्रोत थे | कला के क्षेत्र का सब कुछ उसी का था । छोटी से छोटी वस्तु श्रपनी लेखनी से उठाना छोटी से छोटी विचारावली पर मनन करना उसकी कला का झावश्यक ग था | किसी श्रन्य कलाकार श्रथवा चित्रकार पर श्राक्षित दोकर उसने श्पने भावों का प्रकाशन नहीं किया । बह पूर्ण सत्यवादी था वह स्वाधीन चिन्रकार था | श्रपने दी हांथों से तूलिका साफ करना झपने ही दाथों चित्र- पट की धूल भाड़ना झपने दी दाथों से रग तैयार करना--जैसे उसने शझपने कार्य के लिए किसी दूसरे की श्रावश्यकता समझी ही नहीं । इसीलिए तो उसकी कविता इतना अपना-पन लिए हुए है कवीर थपनी श्रात्मा का सबसे आाशाकारी सेवक था | उसकी श्रात्मा से जो ध्वनि निकली उसका निर्वाद उसने बहुत ग़ूबी के साथ किया । उसे यद
User Reviews
No Reviews | Add Yours...