उपनिषदों की शिक्षा | Upnishadon Ki Shiksha
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.58 MB
कुल पष्ठ :
468
श्रेणी :
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No Information available about पं राजाराम प्रोफ़ेसर - Pt. Rajaram Profesar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१३ )
अ - ,उछ
को छाथ करता दें. ३९५
उस्स को जान कर छदय की
गांढि खुछ जाती हैं. ३९७
श्रह्मदूर्धी के. चहूरे पर
पक नई 'बमक आजाती
है, जिस को घ्रह्मदर्शी दी
पहियान सकते हैं. ३९.८
झह्मदू्शी सब कामनाओं
से ऊपर दो कर चिच-
सता दे ३९९,
चह्द पुण्य पाप की पहुंच से
ऊपर हो जाता है. ४००
आत्मज्ञासी के लिये रदने
स्ददने आदि. का कोई
चियत वन्घन नदी ४०३
झह्मदूी शोक और मो
खे पार दो जाता है ४०३
झह्ादुद्द्वीं सब कुछ देंस्खता
है, पर .चदद रोग
सत्य और डुश्स का नददीं
देखतार दे - श्व०छ
झह्म को देखता डुआ
पूछ
वद्द कान र सो अद्भुत
महिमा को देखता दुछ०४
ब्रन्मदुर्शी सब उतर से
- अभय हो जाता दे ४०६
जीव्मुक्ति ०८
चिदेहसुक्ति धर४
विदेड्सुक्ति का. सचिदाष -
वर्णन 8१७४
न्रह्मछोक का चणन.. ४२७४
ब्रह्मलोक में पहुंच कर
उसको परत्रह्म के दुदोन
दोत हैं छ्९
न्नह्मलाक कहा द छे२०
सूये न्रह्मछोक का द्वार दे 3२१
सूर्य में से दोकर वह कर्मियों,
क छोक को देखते इप:
न्ह्मलोाक में जाते दे ४२२
न्रह्मठोऋ में पहुंच कर
चद्द सारे छोको मे रचतंत्र
दो जाते दैं छरछ
न्रह्मलोक स्थान. विशेष
भी है ओर सारे विद्व
से सात प्रोत भी है ४२५
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