पूंजी [भाग-1] | Punji [Bhag-1]
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.93 MB
कुल पष्ठ :
914
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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१६ भ्रगस्त १८६७ को मार्क्स द्वारा एंगेल्स को लिखे गये एक पत्र की झ्नुलिपि
(चित्र में झाकार छोटा कर दिया गया है)
१६ झगस्त १८६७, दो बजे रात
प्रिय फ्रेंड ,
किताब के भाल़िरी फ़र्म (४६ वें फर्में) को शुद्ध करके मैंने झभी-अभी काम समाप्त किया
है। परिशिप्ट- मूहय का रुप-छोटे टाइप में -सवा फ़ेमें में श्राया है।
भूमिका को भी शुद्ध करके मैने कल वापिस भेज दिया था। सो यह खण्ड समाप्त हो गया
है। उसे समाप्त करना सम्भव हुमा , इसका श्रेय एकमात्र तुमको है। तुमने मेरे लिये जो
'भात्मत्याग किया है, उसके अभाव में मैं तीन खण्डों के लिये इतनी ज़बईस्त मेहनत सम्भवतः
हरगिज़ न कर पाता । हृतज्ञता से भोत-प्रोत होकर मै तुम्हारा भालिंगन करता हुं!
दो फ़र्में इस खत के साथ रख रहा हूं, जिनका प्रूफ में देख चुका हूं ।
१५ पौंड मिल. गये थे , धन्यवाद ।
नमस्कार , मेरे प्रिय , स्नेही मित्र !
तुम्हारा
बाल साक्स
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