धर्म | Dharm

Dharm by कार्ल मार्क्स - Karl Marx

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रा री काठ नाक्स डिमोफ्रिंट्स के प्राकृतिक बच्चन तथा के प्राकृतिक दहन का शंतर थीसिस प्रवन्ध की भुमिका मुनरूप में यह प्रवत्थ अगर डाइंटरी की डिग्री उपाधि के लिए न लिखी गयी होती तो एक ओर तो इस निवन्थ का स्वरूप अविक वैज्ञानिक होता और दूसरी ओर कुछ बातो के सम्बन्ध मे जो पांडित्य प्रदर्शन इसमें किया गया हैं वह भी कम होता । परन्तु बाहरी कारणों की वजह से वर्तमान रुप मे ही इसे छपवाने के लिए मैं मजदूर हूं । इसके अलावा मेरा हैं कि इससे द्रुनानी दर्शन के इतिहास की एक ऐसी समस्या का. समाधान मैंने प्रस्तुत किया हू जिसका अभी तक सम्गघान नहीं मिला था । विज्ञेपन्न जानते है कि ऐसी कोई प्रारभ्भिक रचनाएँ नहीं है जो इस निव्थ के विपय के सम्बन्ध में किसी प्रकार की. सहायता दे सकती । सिसरो तथा प्लूटार्क की अर्थह्दीन बातों को पुनरावृत्ति करते रहने के अतिरिक्त इस विषय मे अभी तक और कुछ नहीं किया गया है । गसंण्डी ने एपीक्पूरस को ईसाई धर्म सब गिरजे के घर्मपिताओ तथा सम्यूर्ण- मध्ययुग के निषेधो से-सूर्तिमान वुद्धिहेनता के उस युग के से-- मुक्त कर दिया था किन्तु उनकी उक्तियों में केवल एक ही मतलब को




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