श्री जैन सिद्धान्त प्रवेशिका भाग 1 | Shri Jain Siddhant Praveshika Bhag 1
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.46 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(रे५) ५७ आगमयाधित किसको कहते हैं १ ७ दास जिसका साध्य बाधित हो उसको आगमगाधित कहते है । जैंस-पप सुखका देने- बाला है। क्योंसि यदद कर्म है । जो जो कम होते हैं वे वे छुखके देनेवारे होते हैं । जैसे- पुण्यकर्म । इसमें शाख्सि याघा आती है । क्योंफि शाम पापकों दु ख देनेगाडा ठिखा है | ५८ स्वयचनेवाधित फिसको कहते है | ५८ जिसके सायमें अपने वचनसे ही। बाधा आते । जेसि-मेरी माता यप्या है । क्योंकि पुरपका सयोग होनेिपर भी उसके गर्भ नहीं रहता । ५९ अनुमानके फिंतने अग है ५९ पेचि है-प्रतिज्ञा हेतु उदाहरण उपनय और निगमन ६० प्रतिज्ञा किसको कहते है? ६० पक्ष और साध्यफे कहनेको प्रतिज्ञा कहते है 1 जैसे- इस पतमें अग्नि है 1
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