पैसे पैसे के चुटकुले | Paise Paise Ke Chutakule

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ सप्लिपात . वारीक पीसकर चूण बना लें । यदि इसके घरावर शक्कर भी इसमें मिला ली जाय तो घहुत अच्छा हो । आवश्यकता के समय प्राव सायं ४०४ ग्राम फी मात्रा पानी के साथ फांक लिया करें । प्रात काल मल त्याग भी खुलकर होगा । सारा दिन चित्त बड़ा प्रवतत रहेगा बोर मालस्य आपके पास नहीं फटकेगा । क्र सन्निपात यह बडा भयंकर रोग है। इससे मस्तिष्क पर या सस्तिष्क के पर्दों के तत्दर एक प्रकार की सूजन सी वा जाती है। यदि सूजन विशेषतः मस्तिष्क पर अधिक हो तो तापांश अधिक होता है भर आंखों में बडा भारी दर्द होता हैं। यदि मस्तिष्क के अगले भाग पर सूजन हो तो रोगी की भांखें खुली रहती हैं भौर वह मुखपर चार वार हाथ मारता है । यदि यह सूजन शिर के मध्य भाग में हो तो रोगी व्यथ गौर वेजोड की बातें अधिक करता है जिसे प्रसाप के नाम से पुकारते हैं । बिना इच्छा से पेशाब निकल जाता हैं । यदि शिर के पिछले भाग में सूजन अधिक हो तो रोगी जो वात कहता या सुनता है उसे तत्काल भुल जाता हैं। यदि मस्तिष्क के सभी भागों में सूजन का प्रभाव हो तब ये सब लक्षण मिलते हैं । प्राचीन आयुर्वेद विशेषज्ञों ते इस रोग के पांच भेद बतलाये हैं । उन सब का अलग-अलग वर्णन करना यहां पर अपेक्षित नहीं है । नीचे कुछ ऐसे योग लिखे जाते हैं जो सब प्रकार के सन्निपातों के लिए लाभप्रद और युशुकारक है २७. सन्निपात्त हारी पोटली निम्नवशित्त पोटली सन्निपात के लिए अत्यधिक हितकर है । यह कई बार अनुभव में था चुकी है और सदा दड़ी प्रभावीत्पादक रही है। जन साघा- रा के हितार्थ योग नीचे लिखा जा रहा है। सनाकर लाभान्वित हों । विधि--इन्द्रायण का गुदा शौर फरफ्यून दोनों को आवश्यकतानसार लेकर एक पोटली बनालें । रोगी के शिर पर गर्म-गर्म टकोर करें । सर्द सम्नियात के लिए अनेक वार की अनुभूत और अचूक भीषधि है । २८. झनुभूत चदी यह वटी सब प्रकार के सस्तिपातों के लिए गुणकारक है । धनेकों चार इसका अनुभव किया जा चुका है। हर वार इसका प्रभाव बड़ा बदभूत सिद्ध हुआ दै। इसका विवरण नीचे लिख रहे हैं । . का विधि--माप के साटे की एक ऐसी रोटी तैयार कंरवायें जो कि रोगी शिर पर भच्छी प्रकार मा जावे । फिर उसे तवे पर डाल दें । एक ओर से पकने के बाद कच्ची तरफ को तिलों के भर सरसों के तेल से चुपड़ कर




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