काश्मीर देश व संस्कृति | Kashmir Desha V Sanskriti
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.01 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पेतिहासिक सूचनाए ७७ बन्दी की पूरी चेतना है । श्रौर जो दरें हैं उन पर वे कड़ा पहरा रखते हें । इसी कारण उनके साथ व्यापारिक संबंध स्थापित करना भी कठिन हैं । किसी समय वे बाहरी व्यापारियों को विशेषकर हिन्दु्रों श्रौर यहूदियों को अझ्रपने देश में झ्राने- जाने देते थे परन्तु श्राजकल तो बिना पूर्व-परिचय के हिन्दू व्यापारियों को भी नहीं प्रवेश करने देत । अन्य लोगों का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता । लोहूर श्रौर राजवाड़ी के किलों का उसने विशेष रूप स उल्लेख किया है । उनकी दृढता श्रौर भ्रभेद्ता का उसने स्वयं मुश्रायना किया था । कल्हण की राज- तरंगिनी में इन किलों का नाम लोहरकोट श्रौर राजपुरी दिया गया है । झाजकल उन्हें लोहरिन श्र रजौरी कहते हैं। रजोरी पहले पीर पंचल ( पंचाल ) की पहाड़ियों में एक हिन्दू-राज्य था । महमूद ग़ज़नवी ने काश्मीर पर अ्राक्रमण करने का इरादा किया था परन्तु वह लोहरिन क दुग से श्रागे नहीं बढ़ सका । अल्बिरूनी ने काश्मीरियों की पैदल चलने की झादत का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि क्रेवल झाभिजात्य कुल के लोग ही पालकी में चलत हैं जिसे कट्ि कहते हैं । उसके श्रनुसार चैत्र की द्वितीया को काश्मीरी एक त्यौहार मनात हैं जिसे ्य्रग्दुस पुकारत हैं । यह एक विजय-त्यौहार है क्योंकि इस दिन राजा मुक्त ने तुर्का पर विजय प्राप्त की थी । रामचन्द्र काक के अनुसार ग्रग्दुस संभवत काश्मीरी के ऑ्रोक्दोह का अपग्रंश है जिसका झथे है चन्द्रम। के किसी पत्त का प्रथम दिन । फिर अल्बिरूनी ने इसे द्वितीया के दिन क्यों बताया ? काश्मीर के लोग शिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन के कृष्ण-पत्त की तेरस को मनाते हैं । शिवरात्रि को इसीलिए हेरथ पुकारते हैं। परन्तु फिर भी उस दिन को हेर चोदह कहते हैं जिसका श्रथ चौदस हुआ । इसी प्रकार महानवमी का त्यौहार दो दिन मनाया जाता है । बोलचाल में कहा जाता है महानवम-हेज-पचम झ्रोर महानवम-हज-चोरम अर्थात् महानवमी का पांचवां या चौथा दिन । वस्तुत यह दिन उस चन्द्रपक्त का पांचवां या चौथा दिन होता है जिसमें महानवमी का त्यौहार पड़ता है । ऐसे श्रम उत्पन्न करने वाले झनेक प्रयोग प्रचलित हैं श्रौर अल्बिरूनी ने अपने विवरण में संभवत ऐसे ही प्रचलित प्रयोग का धार लिया है । उसने काश्मीर की राजधानी का नाम अधिष्ठान लिखा है और बालर ( बाल्तिस्तान ) दरद-प्रदेश गिलगित अस्वीर (हसोर या भ्रस्तोर) श्रौर शिल्तस ( चिलास ) का भी उल्लेख किया हे ।
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