साहित्य - संदेश भाग - 8 | Sahitya - Sandesh Bhag - 8

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Sahitya - Sandesh Bhag - 8 by शिवदान सिंह चौहान - Shivdan Singh Chauhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी फे क्रियापद फा मूल म -----------__-_~_~_~~ টিন ष्वेव ने पोथी परी सिवो ॐ भूल दद “भ-कारस्त होते हैं शरीर यद प्राकृत के नुग हो है। गत 5581. > 90 गर्म यही गय होगाता है झौर “*'? से मम्बर्द्धित होकर गया हो जाता है। इसो सम्वद्धक 'क' के रूप झा० को जोड़ देने से छनदी & चायं भूल কুক্কর बनते दे जैसे लिखा; पवा वीर्‌ यव किया स्वरन्त होती हैतो भा छा सम्बन्ध य से दोतः है1 यपा दिया, पिया, रदी पे भूतन ॐ रिषि लारी श्रान्त क्रियाओं रा प्रयोग दोता है। यद्द 'ल! पूर्व क्री ओर की प्राम्य भाषा में मिलता है। ऋूपीरदास आदि में इनका कुछ प्रयोग मिलता है। तत्न ब्रह्मा पूछुच मद्दतारी। * घहुजुग भगगन আাঁথল মাহী समुभिन पर मोटरी फाटी॥ संफत में रहुन मी ध तु्मों का भूत दन्त त डे स्थान पर 'न' जोंडऋर बनता था। हिन्दी में इसी के अनुकूल इसे हुए रूप तुलगी, कोर, चन्द श्ादि में मिलते हैं, वे कपये षको, सीद, च॑ग्द, दन्द । नानाविधि मुनि पूजा फीन्‍्द्री। अस३ति करि पुनि आाशिप दीन्द्ी॥ पतमान फालिरु दन्त ~ वर्तमान ष्पलतिरकृनरन्े श्च दन्दो स्व प्रन घ হই থং उष्य ना उद गयाहैःयया प्रन ऋ ङ पुच्दन्तोः दन्दो মী হীনহা মুলা 4.0६0०४४५७ पुर्वकालिक-+ शजरातो में पू3अद्ालिक में संस्कृत 'य! से उत्त् 'हा चातु मे लणाडर्‌ पूर घलि फदन्त यनता ६1 प्रन्यु ट्विन्दी में इस इ?? छा लोग दोगया है, केवल घाठु ् पूव॑द्नचिङ किया का काम दे जाती है. यण गेल, ज्य॑ “उने उपरे शोल षड कि तुम यचो বিহাঁআ শী হাল ন सुप्रोव को प्रित्न दन/वा! --परल्तु पूर्त इाल के भाव की अभिव्यक्धि केवल घातु से कमी कमी हाप्टदा पूरक नहों होती इस कारण उससे शाय 'के! पवा डर! और सपा देंठे हैं । दो के, शेलकर । यह्‌ श प्रयया करः के भी बहाव में पूर्वशलिर ह हैं। जो 'बोस' दे यटी 'कर' है! ऐपा हुभया करता ই कि सापा का एक शब्द जय अपने भाव हो प्रकट करने में असमर्थ होता है तो उपी तरद का दूधरा जोड़ दिया जाता ই হু বাঘ কি के एप इनो विषम के अवुदू न हैं। कमी कभी तो उसी एक गतु को दुद्दशा दने में ही पूर्व छालिझ शिया बन जाती एँ। यद्द 38 बोल योल वहां से चला गया । पुरानो दिग्दी में, फिर मी, यद्‌ श ष्ट भिनी दै। उष पू्वल सद ष सरन्ती होता दै यया--फएरि, मारि, द्रे दै लोड देने पर भी ३ कार बना रहता है, ` पयि $, छर के आदि । 0660001 06101016 एला [तदाल जो स्न सव्ये से प्रकृत मे ४८१, परर पुनद भापाओं में छांता हैं प्रयि दिन्दी मे नदी मलना! हौ, धत्र माषा मै अदर्‌य निहतः दै यपा, करन 1 हिन्दी को दियर्थक संता रना + ते, संस्कृत के ৪:৮৭] 20000 আ श्रनः चै चन्त दते ह, निन हुमा नया स्प प्रगीत धेत ই दिन्योमेतो प्रक के कर्मयि धा मिलते न पुएनी दिग्दी में रिर भी पुछ एक उदादरण पाये ज ते हैं ] प्रकत में झूम रि। 'ईशवा और इज्ज” से बनता है) चुत ओर दिद्वरो के एक दो उद'दरणों में यद रूप विलय है : মহিলা আনু সান भयराऊ হন पूनि লন সমাস = ५ कइस सम्बन्ध में 8009 लिखते हैं, (४० ०. 05350 1005056৪1১০ ৪৪ 00190 80০ [০৬ ৩৩1০ ৮৪ 3850507: ৪5052 2967 ৪0৫ 09. धा० 00675 0800 1679090931৪ 11281 & ३६ 0889 6 876 70६ $0 809008७ 1६६ २४18 १19715९ {0८ 6 शिण {0६०४ ण 106 8फ्शिद अना 658, क्ा010)\ 18 হণ ক 8৬৪৩৮ {०४ ५४९ ६०1९६५०2 ५६ &७४४४8०६ इप9७६ ४२९०४ 7प0) ग्र0१७ 745७७ 1090 3৪




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