अलवेरुनी का भारत भाग १ | Alberuni Ka Bharat Bhag 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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, ( १६ ) उपाधियाँ मिली घी”, पर अलवेरूनी उसके विपय में श्रा्षेप से लिखता है कि “उसने भारत के वैभव को सर्वथा नष्ट कर दिया, श्रौर ऐसी ऐसी चाले चलों कि जिन से हिन्दू. मिट्टी के परमाशुभ्रों की भाँति टूट कर बिखर गये शोर केवल एक ऐतिदासिक बात रद्द गये” । महमूद की स्त्यु के पश्चात्‌ जब : उसका पुत्र मसऊद राजसिं- हासन पर बैठा दे! अ्रलबेरूनी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक श्रलकानूनल मसऊदी उसे समर्पित की । इससे मसऊद बहुत प्रसन्न हुआ, शर '्रलबेरूनी को महमूद के समय में जा शिकायते' थों वे सब दूर दो गई' । जय गुज़नी के सुलतानों ने भारत पर झाक्रमण किये ता, दूसरे राजनैविक मंदी राजातरों के साथ, झलवेरूनी को भी राजसेना के साथ साथ भारतवर्ष में घूमना पड़ा । हिन्दू श्रौर उनके विचार उसे वड़े रोचक श्र लुभावने प्रतीत होते थे । इनका श्रध्ययन करने में उसे वड़ा श्रानन्द प्राप्त होता था 1 घहद उन से सम्बंध रखने वाले प्रत्येक विपय की बड़े श्रनुसग के साथ ' खेज करता था । महमूद की दृष्टि में हिन्दू काफ़िर थे--जिन्दें कि नरक की भट्टी में जलना पड़ेगा । इन पर आक्रमण करके शपने स़ज़ानां को स्व श्रार रत्नों से भर लेना दी उसका मुख्योदेश था । पर झ्रलवेरूनी की यह घात न थी । यह हिन्दुओं का श्रेष्ठ तस्ववेत्ता, उत्तम गणितज्ञ, और निपुण ज्योतिर्विद समकता था । हाँ, जा देप उसे इनके अन्दर देख पड़ते घे उन्हें वद्द कदापि नहीं छिपाता था, प्रस्युत कठार से कठोर शप्यों सें उनकी श्रालोचना करता था । पर साथ दी उनके छाटे से छाटे शु्णों की प्रशंसा में भी उसने जरुटि नदीं रक्खों। ती्थों' पर स्नान-घाट निर्माण कराने के विपय में व कददता हैः--. 'पस विद्या में उन्दोंने बहुत उन्नति की है । दमारे लोग (मुसलमान)




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