भारतीयज्योतिष यन्त्रालय वेधपथ प्रदर्शक | Bhartiy Jyotish Yantralay Vedhpath Pradrshak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चक्र यन्ञ्रस । ४ (१ | की दृष्टि ( इत्तपाठी में ) जहां ठगी है उस बिंदु कों दृष्टिस्यान तथा ऊपरवाले बड़ष्य की अंशली जहां ठगी है उसको वेधस्थान जानो इृष्टिस्थान से शुकुसल तक इत्तपाठी में ( श्रहनक्षत्रादिको का ) नत काल और वेघस्थान से दृष्टिस्थानवाली इत्तपा- डी के केंद्र तक ( शुकुपाली में ) पूवेवत्‌ सपष्टा | ांति जानो और यह भी याद रहे कि आगे के सद यंत्रों में हृष्टिस्थान तथा वेघस्थान का जान छेना ही सुख्य काम है क्यों कि उन्नतांश दिगेश क्रांति ग्रहुस्पष्ट शुर आदि दृष्टिचिन्द वा वेघस्थान अथवा कहीं ९ दोनों दी के जानने से ज्ञात हो सकते हैं । इति । (९) चक्र यंत्रउक्त पहले सम्राद यत्र के साम- ते सड़क के दाहिने तरफ ( पत्थर और चुने से बने दुए ) चबूतरे पर धातु के बने हुए चक्र येत्र नाम के दो यंत्र हैं जिनमें ३६० अंश और प्रत्येक अंश में . | दश ९ सांग अंकित हैं तथा इन दोनों च्कों के




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