पद्मा पुराण भाषा सप्तम क्रियायोगसार खण्ड | Padma Puran Bhasha Saptam Kriyayoga Sagar Khand

Padma Puran Bhasha Saptam Kriyayoga Sagar Khand by पं रामबिहारी सुकुल - Pt. Rambihari Sukul

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सप्तम क्रियायोगसारखरड । १३ को रक्षाकी है परन्त इस बड़ी भारी ठदावस्था से मेराबल हर. लियागया है २४ इससे दुबल होकर मैं कुड कम करने को नहीं समथहू सामथ्य हीन पुरुष में राजलक्ष्मी नहीं शोभित होती है२४ जेसे सब गहनों से युक्क छडअंगवाली स्त्री नहीं शोमिंत होती है उथ्वी म तब तक सब शत्रु डरते हैं २६ जब तक पद्ित्र नेत्र से सामध्यह्दीन को नहीं देखते हैं सबगणों से यक्क ओर तिसी में प्राप्त मनवाले २७ छद्धराजाकों इस प्रकार एथ्वी छोड़ देतीहे जेसे रक्षा का हुई भा व्यामचारियणा स््रा अपने पातेका छोड़ देतीहे सब गण भक्ति से लाभ दोसके हैं बड़ा यश गुणों से लाभ होता है २८ कल्याण दान से मिलता है एथ्वी बल से मिलती है सामध्यंहीन कप शत्रुके शासनम निश्चित २९ मखेमात्र वचचनका ग्रहण करने वाला शन्रुआ को आनन्द देनेवाला सो राजा है तिससे हे श्रेष्ठ मंत्रियों में सब राज्य बांटकर ३० पुत्रेंको देनेकी इच्छा करताहूं जो आप लागाका सम्मात होवे तब मंत्री बोले कि हे राजन्‌ नीति के जाननेवाले आपने जो ये वचन कहे हैं ३१ सोंइं हम लोगोंकि भा मत है इसमें सन्देह नहीं हे तद्नन्तर राजा की आज्ञा से उनके दोनो श्रेष्ठ पत्र सभा में आये ३२ वीरभद्र ओर यशोभद्र जिनके नाम हैं ये सब गुणों से युक्क कुमार प्रिय बोलनेवाले ३६३ पिताके मक्क संदेव शान्त बलवान ओर धर्म में तत्पर हैं तब राज- नीति जाननेवालों में श्रेष्ठ राजा सहसासे ३४ कतहलपर्वक सब हाज्य बांटकर दोना पुत्रों को देता भया इसी अन्तर में एक ख्घ्र अपनी स्त्रीस॑यक़ ३५ आकर तिस सभा के बीच में बेठता भया सतजी कहते हैं कि हे श्रेष्ठ ब्राह्मणों तिस घर ओर उसकी स्त्रीको व्त्यन्त प्रसन्न आतेहुए देखकर ३६ राजा दोनों से बोला कि किस हेतुसे आपका शुभ आगमन हुआहे तिसको कहिये तब गघ बोला कि हे शत्रुओं के ताप देनेवाले राजन में गध्रहं ओर यह मेरी ख्री है ३७ आनन्दसे पक दोनों पुत्रा की सभा देखने के लिये आया हूं पृवंजन्म में इन दोनाने बड़ी विपत्ति देखी थी ३८ इस जन्सपें ७ हि लिये इनकी सम्पत्ति देखने के लिये हम दोनों आये हैं तब तो विस्मंथ




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