योग - मनोविज्ञान | Yoga - Manovigyan
श्रेणी : मनोवैज्ञानिक / Psychological, योग / Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.08 MB
कुल पष्ठ :
582
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रावकयन | शिव द्वारा मदन दहन या. बुदूघ दारा मार घर्षण एक ही प्रतोक के दो ५ रूप हैं। काम वासना प्धोगामिनी होती है । वह मन को अधिकाधिक भौतिक मल से संयूक्त करती है। इसके विपरीत योग को साधना ऊब्व॑मुली होकर जीवन की समस्त प्रवृत्ति कों ही ऊँचा. उठातों है। इस प्रकार में सोग मोर योग के दो मागं हैं। इन्हों को शाचौत भाषा में फ्तुयान घोर देवयान कहा पया है। योग के द्वारा जो कल्याण साधन संभव है उसके लिये जिज्ञासु को इसका अवलम्बन लेना उचित है । इस विद्या को व्याल्या के लिये इस ग्रंथ के लेखक नें नो प्रयक किया है वह सवा भभिनन्दत के थोग्य है । हस्ता० वासु्देव डारण काशी विश्वविद्यालय रन टन
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