कल्याण | Kalyan

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Kalyan by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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' २५३ भीमद्गवह्ीताका चरम तात्पर्य रे५८ शीमद्धमवड्ञीताका विशानमाध्य र५९ शीमद्धरावद्ीताका सार्वमौम स्थान र६० शभीमड्गवद्गीताका सिद्धान्त २६१ श्रीमद्धगक्ड्रीताकी अनुदान-विधि रे श्रीमद्धगबद्गीताकी पाठ-विधि २६३ भीमद्धगवद्गीताके शषि» छन्द; देवता और विनियोग २६४ शीमद्धगवद्गीताके दो प्रसश्ञॉपर विचार २५६५ भीमद्धगवद्गीतामें वर्ण-धर्म २६६ शीमद्भगवद्गीतामें शरणागति २६५७ १9 3 २६८ श्रीमानसका अनुपम महत्त्व २६९ श्रीमानस-शक्का-समाधान २७० श्रीरामचरितमानसका तात्पर्य २७२ संत श्रीसेवादातजीके वचन २७३ संयम २७४ संयम ही तव है ( सं० ) २७५ संसार २७६ संसारका सम्मान्य अन्य ( सं० ) २७७ संसारमें रइनेका तरीका २७८ संसारसे तरनेका उपाय ( सं० ) २७९ सकल्प २८० सख्य-रस २८१ सखाभाव २८२ से संत २८३ सत्सकूका प्रसाद स्८४ सबका मूल अशान ८५ सम्पादरकोका निवेदन ए८६ सर्वप्रिय काव्य ( सं० ) ८७ सर्वशाकषमयी गीता ' स्ट८ सदजयोग ** ( साहित्याचार्य श्रीपाद भीशान्तिमिक्षु जिशयूली) काइयप ) ' * * *** ( श्रीविष्णवाचार्य स्वामीजी मदन्त भीरामदासजी महाराज). ९९६ ** ( साहित्यरत्त पं० श्रीदिवरतजी धुक्क 'सिरस” ) ** ११४२ *** (पं० श्रीनरहर शास्त्री सखरशीकर ) *** ध *** ( श्रीजयरामदासजी 'दीन” रामायणी ) ** ( श्रीजयरामदातजी 'दौन” रामायणी ) १९७८) १३३५; १५०८५ *** ( स्वामीजी श्रीरामदेवजी मददाराज ) २७९ श्रीसामिनारायण-सम्प्रदायमें गीताका स्थान * ' सन्त 5” *** ( बैष्णबाचार्व पं० भीरतिकमोहनओी विययाभूष ) ७७ २५७ शीमद्धगवद्गीताका परमतत्तू मक्तितत्व ही है * *** ( महमहषोपाध्याय पं० भीमिरिघरजी शर्मा चंदुर्ेदी ) **'. ९९२ (भी ह० म० प० घुंडा महाराज देगल्ूरकर ) * १०३१ शः्दु बेदान्ताव्वार्थ प० औमदेशामन्दजी उनियाढ शाख्ी श ०** १३०३ *** ( श्रीनारायणाचार्य गोविन्दाचार्य बरखेडकर ) न श लक कु न्य्य की श्५३े ** (पं० श्रीगोपालचन्द्रजी मिश्र गीड़; वेद्शास्त्री ) *+* ९७८ श्११ * शर४५ * १४२० श्दू०्१) १७३५ शर५४; १३२८ ( पं० “श्रीकृष्णवछभाचार्यजी” स्वामिनारायण; दार्शनिक- प्चानन) पड़दर्शनाचार्य) नन्यन्यायाचार्य; सांख्य- योग-वेदान्त-मीमांसातीर्य ) * श्००२ शजन १८१७ *** (श्रीमनिकलालजी सिंघवी) एम्‌० ए.०; एल-ए० बी०) ** १३७४ न जनवरी-टाइटिलका पोथा प्रष्ठ ** ( भ्रीमत्परमहंस परिवाजकाचार्य औमत्स्वामी भीशक्करतीर्थजी महाराज ) १७९५ ** ( महामहोपाध्याय पण्डितप्रवर श्रीलकष्मण शास्त्री द्राविद़ )* * * १००३ ** ( पूज्यपाद श्रीमोलानाथजी महाराज ) श्७र८ ** ( महाभारत; शान्तिपर्व ) मई-टाइटिलका चौथा पट *** ( श्रीअनिलवरण राय ) ** * श६६६ ** ( पं० श्रीशान्तनुविह्ारीजी द्विवेदी ) ** ** १८९३ ** ( मुखिया श्रीविद्यासागरजी ) * १५०० ० ( शी स्चक्र' ) र * १७८९ *** ( पं० शीशोन्तनुविहारीजी दिवेदी ) ** १७७३ ** ( स्वामी श्रीरामदेवजी महाराज ) ** श७१४ बलि तो जल ** ( सर एडविन आारनल्ड ) व ** र००६. ** ( प्रोफेसर फिरोज कायसजी दावर; एम ० ए.०) एल एलू० बी० ) ** १०३ेट' ** ( पं० औलालजीरामजी शुकक; एम्‌० ए०) बी० टी० ). *** १६९४




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