प्रथम प्रतिश्रुति | Pratham Pratishruti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.29 MB
कुल पष्ठ :
551
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इस उमर में मुझे लड़की कौन देगा ?
फेछू बनर्जी ने वीर की नाई कहा--र्मैं दूंगा । इसके लिए भाई लोग मुझे
जावे से अलग करें तो करें 1
फेल्यू बनर्जी को जात से अछग करना !
जात के जो सिरमौर है !
सभा मे हां-हां का प्रवाह वह चठा 1
और फेलू की चालठाकी की इस चाल पर सब अपने-अपने गाल पर आप
ही थप्पड़ मारने लगे । लड़की भला किसके घर नहीं है ?
कुछ ही दिन वाद फेलू बनर्जी की नौ साल की लड़की शुवि था भुवनेश्वरी
से रामकाली का ब्याह हो गया । दर
बड़े दिनो से गांव में इतनी धूमधाम से शादी हुई नहीं थी । इसलिए कि
रामकाली मे शायद पाच सौ रुपए धूमधाम के लिए मा दीनतारिणी को चुपके से
दे दिए थे ।
यह बेहसाई बेशक निंदायोग्य थी, उस धूमधाम के खान-पान निंदनीय
नहीं थे ।
सो रामकाली फिर से समाज में प्रतिष्ठित हो गया । घर में खाने-सोने की
अनुमति मिल गईं ।
खैर ! उसके बाद भी तो कितने दिन वीते ।
बही “भुवि' बडी हुई । गिरस्ती वसी । पंद्रह-सोलह साठ की उमडती नदी
बनी । उसके वाद तो सत्यवती
बुढ़ापे की पहली संतान है, इसीलिए शायद सत्यवती को वाप का कुछ
प्रश्नय है 1
डे
दीनतारिणी निरामिष रसोईघर में रसोई कर रही थी । संत्यवती वरामदे के
नीचे छज्जे मे आ खड़ी हुई । ऊंची नीव का घर 1 बरामदे का किनारा सत्यवती
की नाक के वरावर। पैर के अंगूठे पर सारे बदन का भार देकर कतराकर गला
यढाती हुई अपने स्वाभाविक मजे गले से उसने आवाज़ दी--दादी जी, औ.
दादी जी ! ्
निरामिप रसोईघर के वरामदे पर आने की इजाजत सत्यवती क्यों, किसी
को नहीं थी । कैवल निरामिप खाने वाले ही जा सकते है। माटी के
बरामदे के एक कोने से खाग काट-काटकर सीढ़ी बनाई गई है और उस
प्रथम प्रतिभूति / ६.
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