श्रीमद् भागवत रहस्य | Shrimad Bhagwad Rahasya

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Shrimad Bhagwad Rahasya by श्री रामचंद्र डोगरे महाराज - Shri Ramchandra Dogare Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्ताग्ययतयाावता अीनदू मारावत सहारम्य चकपलनन बला जि नयी वि. िय ए पथ पलच पिएं सननज टिक: कि की नौलनिअललफलिकलेपलस होती है घह कालके डरसे नहीं, फितु अपने किए हुए पार्पोफी यादसे होती हैं। पाप करने समय तो मनुष्य डरता नहीं है । दरता हैं तव जत्र कि पार्पोकी सजा भुगतनेका समय आता है। श्पयहारप लोग एक दुसरेका भय रखते है । सुनीम सेठका मय रखता है, कार कुन अधिकारी का मादि । जब कि मजुष्य किसी भी दिन ईश्वरका भय नहीं रखता है इसीलिए वह दुः्स्वी हैपता है | भागवत मनुष्यकों निमेय बनाता है । श्री भागवनका आधय लेनेसे निर्भयता प्राम होती हैं । में अपने परमारमा श्रीकुष्णका उंश हूँ, में भगवानका हूँ । कुछ पैसे जेवर आ जाएं: तो मजुष्यको हिम्मत आ जाती है तो जब आप परमास्माका हमेशा साथ दी रखबर फिरेंग तो जाप निर्मध बन ही जाएंगे इसमें कया आश्चर्य है । भय घिना प्रभु प्रीति होती ही नहीं है। काठ भय रखो । कालके, सुत्युके भय से प्रसुर्म प्रीति होती है । अतः कालकों, पापकी, घर्मफी भीटि रखो । मनुष्य यदि सद कालका भय रखे तो इससे पाप नहीं होगा । निर्मय होना हो तो पाप छोड दो । श्री भागघत दाख्म हमें निर्मय यनाता है । मनुप्यको जोर फिसीका भय याहि मे लगता हो फिर भी कालका भय तो इसे लगा ही रहता है । कामका नादा फरके भक्ति और प्रेसमय जीवन जो जीता है बह कालपर भी विजय पाता है । कालको जा मारता है घह फाल की मार नदी खाता | कामकी, काठकी मारसे छूटना हो तो परमात्माके साथ अतिशय प्रेम करना होगा । ईस्वरसें प्रम किये यिना ये विकार, काम, क्रोथ आदि जाते नहीं है । परमात्मक्र साथ प्रय करेंगे तो फ्रालका भय लगेगा ही नं! । घुवजी खत्युके सिरपर पांच रखकर येकुठ घाममे गप थे । काल ही तक्षक नागका स्वरूप है । काल -तक्षक किसीकें। नहीं छोड़ना । फ्रिसी पर भी इस काल्दको दया नहीं आनी । अतः इसी जन्मे दो इस कालपर विजय प्रात करो । जय उन्म दंत है उसी समय ही शून्युकाल और सत्युकारण निश्चित किए जाते हैं । पाप करने में मजुभ्य जितना सावधान ( दोशियार ) रहता दै उसना पुण्य फरनेमें नदी रहता है । पाप प्रकट हो गया तो जगतूमे मप्रतिष्ठित हूँगा ऐसा सोचकर पापकों पकार्माचत होकर घह काना है । और इसी कारणन अतकालप उसे पारा याद आती हैं । इसीसें अंत- काले जी घवडाता दै। उमर अपने किए हुए पाप प्रत्यक्ष दीखते हैं । पह समझता हैं कि मेने मरमेकी लो कोई सेयारी की ही नहीं । मेरा अब कया होगा हैं सनुप्य जार लो सभी कामों: लिए सयारी फरना है, परतु मपेकी तपारी करना ही नहीं हैं | जिस प्रकार शाहाकी नया करने हो उसी प्रकार ( खुशी वे ) घोरे. घोरे मरनेकी भी तैयारी करा । सोतक लिए सदा साबपघाज रहे । सस्यु सर्थात्‌ परमारमाको बीते इपए जीवनका दिसाय रमनेका पायिय डिस ! भी सगवान पूछेंगे - घने तुम्दे आल दो भी, तुमने उनसे कया किया ? कान दिए थे, समने उनका कया उपयाग किया है तुम्हें तन और सन दिए थे तो उनका लुमने फरा किया है इस दिसावद् जा गड़बत होगी तो पपराद्ट हगी हो। साधारण इसकमटेकस ऑॉफीसगफर हिसाए देगा हाता है हो थी सनुष्यका पबराहर हनी दे दर यह ठाइरसीकी पायेगा करना है कि हे मु, मंने लो अलग सजग ददी बना री है, यरेलु लुस मेरा ध्यान रस्बला 1 पक यपेडे; रडिस्टाय शव इुनमीं पंबरादट होती है हा फिर सा पोयलकेत हिर्राद देखे ग्रय कया बटर शो है ग्रनुने हमे शा डिया दे उम्यका हिसाय टेसा है पड़ेगा । झू हु भाशि ३ श् फे कनिवालीसयकर




User Reviews

  • Ecpcl

    at 2020-02-29 02:50:18
    Rated : 9 out of 10 stars.
    One of the best materials available in this holly book with hardwork
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