महादेवी की रहस्य साधना | Mahadevi Ki Rahasya Sadhana

Mahadevi Ki Rahasya Sadhana   by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
रददस्यवाद की ओर सद्दानुभूतिपूर्वक समभनेवाज प्राणो प्रायः नहीं सिन्नते । दो, उप्तकी ओर भाँल्र फाइकर देखनेवाले परिंडों की कभी कमी नद्दीं रदती । संबन्ध में मददादिवी जो ने जिवना कददा है उसी को लीजिये । 'चलचिन्र' के सभी संश्मरणों में चाहे वहाँ रामा लैसा कुरुप भौर अल्नोशी नेत्र-विद्दीन नौकर हो, चाहे. मारवाड़िन, '्औौर बिट्टो जैसी विधवाएँ, चाहे सविया महतरानी, रथिया कुम्दारिन और लछमी पदाड़ित हों और चाहे 'घीसा जैसा 'दीन-छात्र-पसभी पर 'महादेवी” की स़जल समता बरसी दी है, पर स्वय इस चरदानसयी को इन सबसे क्या सिल्ञा ? इनमें से एक व्यक्ति सी ऐप नहीं है दि जिसे इतना ज्ञान तक हो कि जिस प्राणी के चात्वल्य शौर करु शा के दस छालस्बन हुए वदद कितनी मद्दान है? और ऐसी दशा में जैसे वे दुखी मनुष्यों के दुःख को अपनी ओर से भी प्रयल् करके सममती, बेंटावी तथा कम रूरती रहीं, उनझी पीड़ा को भी किसी . ने समझने कया, जानने तक का प्रयत्न किया ? पर “चलचित्र' के पात्रों की ओर से सम्भवतः यह सफाई पेश की जाय कि 'देवी” तो सुख-दुःख से परे होती है और 'नहादेवी' वो श्र भी ! के वाक्यों से उनके बहुत मात्रा में सभ कुछ मिलता है? का सामंजस्य घटित कीजिए-- १. समता के धरातल पर सुख-दुम्ख का मुक्त झादान-प्रदान यदि मित्रता की परिमाषा मानी जाये तो मेरे पास मित्र का अभाव है । *, रहा दुःख का प्रकटीकरण--सो उसका लेशमात्र भी भार बनाकर किसी को देना मुझे श्रच्छा नहीं लगता । दै. पढ़ना समास करते ही मैंने-स्वयं झ्नेक विद्यार्थिनियों को




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now