उत्तर तैमूरकालीन भारत भाग १ | Uttar Taimur Kalin Bharat Bhag 2

Uttar Taimur Kalin Bharat Bhag 2 by सैयिद अतहर अब्बास रिज़वी - Saiyad Athar Abbas Rizvi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सैयद अतहर अब्बास रिज़वी - Saiyad Athar Abbas Rizvi

Add Infomation AboutSaiyad Athar Abbas Rizvi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
तारीखे मुबारकशाही छेखक-यहया विन अहमद विन अब्दुल्ठाह सिहरिन्दी (प्रकाशन-कछकत्ता १९३१) तैमूर के आक्रमण के उपरान्त देहलो सल्तनत की दुदेशा अकाल तथा महामारी (१६७) तैमूर के चले जान के उपरान्त देहढी के आस पास तथा उन समस्त स्थानी में जहा से होकर उसकी सेना गुज़री थी महामारी तथा अकाल का प्रकोप हुआ। कुछ लोगों की महामारी तथा कुछ लोगों की भुखमरी के वारण मृत्यु हो गई। देहली दो मास तक बडी ही अव्यवस्थित तथा शोचनीय दशा में रही। नासिरुद्दीन नुसरत शाह का राज-सिहासन हेतु सघपे रजब ८०१ हिं० (माच-अप्रैल १३९९ ई० ) में सुल्तान नासिरुद्दीन नुसरत शाह जो इक्घाल सा के विश्वासघात के कारण भाग कर दोआव में चला गया था थोड़ी सी सेना लेकर मेरठ पहुंचा । आदिल खा चार हाथियों तया अपनी सेना सहित सुल्तान से मिल गया । (सुल्तान ने) विश्वासघात द्वारा उसे बन्दी वना लिया तथा हाथियों पर अधिकार जमा लिया। दोआब की प्रजा जो मुगलो के उत्पात से सुरक्षित हो गई थी उसके पास एकब होने लगी। वह (नासिरुद्दीन) २ ००० अदवारो- हियो सहित फीरोजावाद पहुचा और देहली पर यद्यपि उसकी वडी दुर्देशा हो चुकी थी अधिकार प्राप्त बर लिया। शिहात्र सा मेबात से दस हाथियों तथा अपने सैनिको की लेकर और मलिक अल्मास दोआव से आकर उससे मिल गये । जब सुल्तान के पास अत्यधिक सेना एकत्र हो गई तो उसने इकबाल खा के विनाश हेतु शिहाव (१६८) सा को वरन भेजा । मार्ग में थोड़े से हिन्दू पदातियो ने शिहाब सा पर रावि में छापा मारा । शिहाब खा की हत्या कर दी गई और उसकी सेना छिन्न-भिन्न हो गई। युद्ध के हाथी कुछ न॑ वर सके । इकवाल खा की उन्नति इबवाल खरा को जब यह ज्ञात हुआ तो वह शी घ्नातिशीघ्र वहा पहुंचा और हाथियों पर अधि- बार जमा लिया। नित्यप्रति उसकी शक्ति तथा प्रतिष्ठा में वृद्धि होने लगी। प्रत्येव दिशा से उसके पाम सेनिक एक्स होने रूगे तथा सुल्तान नासिरुद्दीन की स्थिति डावाडोल होने लगी। १ बह सुल्तान फ्रीरोज़ का पीज था । २ झाधुनिक बुलग्दशहदर (उत्तर प्रदेश में) देदली के समीप । रे एक पोयी में बाही मुदुन्द है थयांत्‌ बुद्ध न कर सके । एक श्रन्य पोथी में रादी मुदन्द है जिसका श्र्य भाग से दुये हो सकता है 1 हर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now