श्रावक स्तवन संग्रह भाग 2 | Shravak Stavan Sangrah Bhag-2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ढाल सहर तल्नो सिरीयारी जी ।... ७ दीहाड़ा तेही जी चित्त देई धर्म समाचरे कांड जपो वीर एक मन ॥ सा० ॥ ८ ॥ करणी रूंड्री कीजे जी लावो भल लिजें कोड़ स॒ . कोई अवसर लाभो झाज । काल झनंतो दोरो जी नहीं छे सोरो जिण कहो कांई सारो झातम काज ॥ सा० ॥ ६ ॥ समत्त अठारे गुणसठेजी सुद्दी माह तिथि भली सातमी कांई सोमवार सुखदाय । ऋषि चन्द्रभाण सराइ जी सामाइ रूड़ी रीत सु काई चारित्र सु चित्त ल्लाय ॥ सा० ॥ १० ॥।




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