श्रीमद भागवत महापुराण में नीति एवम् आचार | Shrimad Bhagwat Mahapuran Me Neeti Avam Aachar

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Shrimad Bhagwat Mahapuran Me Neeti Avam Aachar by श्रीमती मेधा देवधर - Srimati Medha Devdhar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नीति के प्रयोग के सम्बन्ध में एक उपनिषद्‌ में जो कहा गया है आचार्य शंकर ने उस पर अपना भाष्य करते हुए यह लिखा है कि इसका प्रयोग नीति शाख्रवत्‌ है ।! इसी सन्दर्भ पर अपना विचार व्यक्त करते हुए एक अन्य विद्वान ने यह मत व्यक्त किया है कि 'एकायन”शब्द सम्भवत;: तब नीति के लिए था | क्योंकि राजनीति को तब नीति से विलग नहीं किया जा सकता था ।* उपनिषदें तो नीति को लेकर इतनी अधिक उदार हैं कि वे नीति में दान, दया, सत्य, शौच आदि को सम्मिलित कर लेती हैं । आचार्य शुक्र ने अपनी प्रसिद्ध नीति वचन में यह कहा है कि नीति समस्त लोक व्यवहार की स्थिति की निर्धारक तत्त्व है। वे यह कहते हैं कि जैसे बिना देह धारण. किये भोजन की स्थिति नहीं बनती उसी तरह से बिना नीति के लोक व्यवहार की कल्पना... . नहीं हो सकती । इसीलिए लोक धर्म का निर्वाहक नीति शाख्र को माना जाता है। हक . महाभारत महाकाव्य का परिशीलन करते हुए एक विदुषी ने अपना मत... ..... व्यक्त करते हुए यह लिखा है कि इस महाकाव्य में नीति और आचार के लिए शील शब्द. ही .. का प्रयोग किया गया है।* इसके अनुरूप वे कर्म नीतिसंगत हैं जिनसे किसी का भी . अहित न होता हो । कक का के मा के यो वि दा के दा थी के दे का का के के के के जरा के था के के फ्रा फ़ का मा कर का ला मो के फे के के के का ख को के के के के के का के यो का बा जे के का को के के की के के के के के का के मे के के था मो को लो की में के के व भरा जा कर काया मे के ये के के ले के के मे # मी १- छान्दो., पृ.७१४ पर शाइरभाष्य २-उ० स. सं. पृ. २४४ रु डेनदी पी. क्षा, ३/१/६ ........ 8- म. भा. अ. पृ. २४ ५- सम. भा. शा, प. २४ / ६४-६६




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