हिंदी की प्रतिनिधि कहानियाँ | Hindi Ki Pratinidi Kahaniya

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Hindi Ki Pratinidi Kahaniya by भगवतीप्रसाद वाजपेयी - Bhagwati Prasad Vajpeyi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ के करण भी दृष्टान्त के रूप में कद्दानी द्वारा किया. जाता है । विश्व-साहिस्य में श्राज ऐसी कथाश्रों की कमी नहीं है जो शास्मीय प्रसंगों श्रौर निष्कर्षों के उदादरणु रूप में भी उपस्थित की जा सकती है | यहाँ तक कि कहानी का विषयंगत वर्गीकरण सीमाबद्ध नहीं रह गया है श्र निम्नलिखित विधयों पर कहानियाँ लिखी जाती हैं-- ं सामाजिक गाहस्थ्य जीवन सम्बन्धी अथवा पारबारिक ऐतिहासिक वैज्ञानिक भौगोशिक श्र्थशाल्न-सम्बन्धी साहलिक धार्मिक राजनैतिक सनसनीदार तथा युद्ध-सम्बन्धी इत्यादि । प्राथ छोटी कहानी में निम्नलिखित दोष पाये जाते हैं-- श्र. अअसम्बद्धता व. शझमौलिकता स . प्लाट की द्दीमता द.. दुरारस कद्दानी एक गठी हुईं वस्तु है । उसके हरएक झंग बिलकुन एक सूझ में बैँचे होने चाहिये । जब कहानी का उद्देश्य एक ही प्रभाव डालता है तब यदि उसके विभिन्न भाग एक सूत्र में बैँघे हों तो उसमें बल कद रद जायगा १ . प्रत्येक कहानी का मौलिक होना आवश्यक है | वह सौलिकता विंघय कथानक या पात्र की ही नहीं वरन्‌_ प्रतिपादन की भी होनी चाहिये । प्लाट विस्कुल चुस्त दोना चाहिये । ज़रा भी. ढोला या शिथिल हुआ तो वह उपन्यास की श्रोर हलक जायगां । साधारण पाठक प्रायः शिकायत किया करते हैं. कि श्रेष्ठ कहानियों का श्ारम्भ प्राय खटकनेवाला दुआ करता है । कुछ लेखकों का यह भी मत है कि कद्दानी करा सब से सुन्दर श्रारम्भ बार्तालाप के द्वारा होता है । सफल कद्दानी-लेखक के लिए श्रावश्यक है कि वह सबसे पहले इस बात को समझे कि बह कहानी लिख रहा है । उसके द्वारा वह पक प्रभाव




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