संसार की श्रेष्ठ कहानियाँ भाग 3 | Sansaar Ki Shreshth Kahaniya (vol. - Iii)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लेखक - जे० एल० पेरत्स . १ के कण की तरह बिताये जो अपने जैसे करोड़ों कणो के बीच समुद्र के किनारे पड़ा रहता है । और जब वायु उसे उठा कर समुद्र के दूसरे किनारे पर ले गई तो किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं गया । जब वह जीवित था तब गीली भूमि पर उसके पैरों के चिन्ह तक नहीं बने रहते थे जब वह मर गया तो उसकी कब्र पर लगी इुई छोटी- सी तख्ती को भी हवा ने उखाड़ फेका और कन्ने खोदने वाले की श्रौरत ने इस तख्ती को कब्र से दूर पड़ा हुआ पा कर इसकी श्राग से आाल्लू उबाले.. | श्र श्रब बॉत्यि की स्ृत्यु के केवल तीन दिन बाद कन्ने खोदने - वाला भी झ्रापकों नहीं बता सकता कि वह कहाँ पर गाड़ा गया था । दगर बॉत्ये की कब्र पर (उस छाोटी-सी लकड़ी की तख्ती के बदले) एक पत्थर भी लगा होता तो शायद भविष्य के किसी [पुरातत्वज्ञ के हाथ वह पत्थर लग जाता और चुप रहने वाले बोत्ये का नास इस दुनिया में एक बार फिर सुनने में आता ॥ वह एक छाया की तरह था वह न किसी सानव-दृदय में अपनी आछति का प्रतिबिम्ब और न किसी के मन में अपनी स्मृति का चिन्द छोड़ गया। - ह न उससे कोई जायदाद छोड़ी न कोई वारिस जीवन-में वह अकेला रहा था अकेला ही मौत में भी स्‍ दुनिया से शगर इतना शोर न होता रहता तो शायद कभी किसी को सुनाई दे जाता कि भारी वोक के कारण बोत्ये की हृड्डियाँ कैसी चट्ख रही हैं । दुनिया के ज्लोग अपने-अपने कामों में इतनी जुरी तरह से-न फंसे रहते तो शायद किसी को .यह देखने के लिये समय मिल जाता कि बोत्ये ( जो आखिर एक इसान था ) किस दिशा में इधर- उधर घूमता फिरता है--उसकी झ्रॉँखों की ज्योति बुक गई है उसके गाल भयानक ढंग से अन्दर धैँस गये हैं और कथधो पर कोई बोका रक्‍खा हुआ न होने पर भी उसका सिर जमीन की ओर झुका इुआआा




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