प्राचीन भारत में हिन्दू राज्य | Prachin Bharat Me Hindu Rajay

Prachin Bharat Me Hindu Rajay by बाबू वृन्दावन दास - Babu Vrandavan Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ हे थुग प्रवतेंक घटना के रूप में उदित हुआ था । उस घटना का भारतीय इतिहास पर जितना प्रभाव पड़ा उतना किसी अन्य घटना का नहीं । अतः माचीन भारत के समस्त इतिहास को पूर्व महाभारत काल और उत्तर महा- भारत काल नाम से दो खण्डो में विभाजित करना उचित होगा । पूर्व महाभारत काल के इतिहास में सूर्यबंश भर चन्द्रवंश के राज्यों की प्रधानता थी । इन वंशो के काल भौर क्रम के सम्बन्ध मे पौराणिक साक्ष्य में विभिन्‍न मत पाये जाते हैं । अतः उन मतों पर संक्षिप्त रूप से विचार करना आवश्यक है । पुराणों मे उल्लेख है कि मनु की पुप्नी इला का विवाह चन्द्रमा के पुष्र चुध से हुआ । इससे सिद्ध होता है कि बुध मनु के दौहिंतू थे और लगभग उनके समकालीन थे । यदि इस समकालीनता को सत्य मान जाता है तो सुर्यबंश का लगभग समानान्तर चलना प्रतीत होता है। परन्तु बंश बृक्षों को देखने से पता चलता है कि सूयंवशी मनु से ६४ बी पीढ़ी पर राजा वृहद्रल चर्द्रवंशी ५० वी पीढ़ी पर महाराज युधिष्ठिर का समकालीन था । सूर्यवंशी भहाराज राम मनु से ६३ वी पीढ़ी पर हैं जब कि युधिष्टिर ५० वी पीडी पर और जब कि श्रीराम युधिष्टिर से लगभग २४ पीढी पूर्व हुए थे । स्पष्ट है कि चन्द्रवश की स्थापना सूर्यंवंश की अनेक पीढियों के ब्यतीत हो जाने पर ही हुई । इला किसो और मनु को पुद्नी थी जो सूर्यवशी किसी ३४ वी या इससे भी कुछ नीचे की पीढ़ी के राजा के समकालीन थे । ऐसा भी हो सकता है कि इला भाठवें सार्वाण मनु को पुती हो जो कि सुयंवश के ३५ से ४० वी पीढ़ी के बीच की किसी पीढ़ी के राजा के समकालीन हों 1 चम्द्बंश की स्थापना सूयंवश की अनेक पीढ़ियों के बीत जाने पर हुई इसके नीचे लिखे प्रमाण हैं । १- चन्द्रवंश के ५० वी पोढ़ी पर महाराज युधिष्टिर सूयंबंश की दर थी पीढ़ी के वृहुदल के समकालीन थे । राजा वृहदल का महाभारत के युद्ध में चक़व्यूह के अन्तर्गत अभिभन्यु द्वारा वध हुआ था 1 र-परशुराम ने सहस्त्राजुन का वध किया था । सहख्राजुन चन्द्रवंग वी १६ वी पीढ़ी पर है। उस समय सूर्यवंशी राजा अश्मक ५३ वी पीढ़ी पर था । यह राजा परशुराम के भय से ख्रियों में जाकर छिप गया था जिससे उसका नाम नारी कवच पड़ा । इससे सिद्ध होता हैं कि चन्दवंश




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