भाग्य फेरने की कुंजी | Bhagya Ferne Ki Kunji
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.88 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)' भारय' फेरने की कु्जी । ११
अपने अपने कर्ममें लंगेहए सनुष्य अच्छी से: अच्छी और
बड़ीसे बड़ी सिखि पाते हें । केसे पाते हैं सन--
यंत: प्रदाचसूतानों येन सवामद ततम ।
स्वकपेणा तसश्यच्य 1साद्ध बवेदात साववः ॥
अ० १८ मों+ '८६
जिससे यंद जगत उत्पन्न इआ' हे और जो सबमें व्याप रहा
है, उस इंश्वरकों अपने अपने कमंसे अच्छी तरह पूजकर
सुष्य सिद्धि पाते हैं ।
मतलब यह कि अपनी जिन्दूगीका, फर्ज अदा करने, शास्त्रसें
कहे हुए भंच्छे काम करने जोर शगदानवी इच्छालुसार चलव्तर:
अपने अपने स्वसावसे पेदा हुए तथा. देंदकाल और 'सयोगसे
मिले हुए कम अच्छी तरह करनेशा नाम इश्वरव्सा प्ज़न है ।
ऐसे कमें करके दही ईश्वर प्रसन्न ,किया जा रूकता हे तथा
पेसे कर्मसे ही. मनुष्य तर सकता हैं । इसलिये देश कालसं
अलुसखार हर्मकों अपनी जिन्दनगीका कऋत्तव्य पालन कर ना चाहिये ।
,. इसीसे हमारे बढ़ती होनिवांली हे, इसीसे हमारी उन्नत्ति
द्ोनेचाढी है और. इसीसे हमारा उद्धार होनिवाला है। याद
' . रखना कि यंह संब कहीं ऊपरसे दोनेका 'तहीं, वदिऋि अपने.
कमखे ही होता है । ओर कसे अपनी चासनाके अनुसार, अपने
हृद्यकी -इच्छादुसार, अपने स्वभाव: अलुखार तथा अपनी
“. मरजीके अनुलार होता है । क्योंकि अपन सीतर जो काम है
कह काम दी दसको कमेके लिये उकलाता है । ( पाठक यहद्दं
वास और कमेका भेद याद रखें ; काम ' शब्दकी परिभापां
'. गीताके तीसरे अध्ययक् इ७वें न्छोकर्म की गयी है। कसेके
माने छत्य करना, साधारण वोलचालमसें कंमेव्यो - काम भी कहते.
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