मुंहता नैणसीरी ख्यात भाग 3 | Muhta Nainaseerii Khyat Part-iii

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Book Image : मुंहता नैणसीरी ख्यात भाग 3  - Muhta Nainaseerii Khyat Part-iii

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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.. सूहता नैणसीरी ख्यात + हू दे आई छे ।”” इतरो सुणतां दीवांण रै मुहडेरो रंग फुर गयो ।” सांखलै नापे नू कह्यौ-'किणही भांत सुलह पण हुवे ?'* तद नाप अरज करी-- 'दोवाण सलामत, राठोडॉरे वैररो मांमलो खरो जोरावर छू ।* श्र व वैर ही राव रिणमलरों ।' त्यां-प्यां दीवांग खरा ढरण लागा। तद नापै श्ररज कीवी--जु दीवांग ! वैर जोरावर छे । किणही भांत धरती दीन्हा टलै तो दीवाण ! धरती दीजे ।* श्रा वात दीवाणरे पण मनमें श्राई । नाप दरबार सौ डेरे भ्राय तुरत रावजी सांम्हां कासीद दोड़ाया | 'जु श्रीरावजी ! झठे बढ कोई न छं। वेगा पधारो सु विध करज्यो ।“ पे श्री रावजीरी फोजां ठोड-ठोड मेवाडमें श्राय लूबी* । देसरो जछछ जादा दीवांणजीनू पहुतो ।*” दीवांगजीने फिकर सबछो”” हुवो । सांखले नापैने कह्यो-जो किणी भांत वात होवे तो भलो हुवै ।“*तद नाप अरज कीवी-“श्री दीवांग ! परधानों करावों ।”* मोटो मांणस मेल्यां वात हुसी ।”* तद राणजीरा परधांन श्री रावजी कने '” श्राया, अरज कीवी ।” “श्री रावजी ! हुणी हुती सु हुई।”” श्ररश्रोतों मुलक ही थाहरो वसायों छे । थे मारस्यो तो कुण राखसी ? ** तद रावजी बोल्या-'जु भरा वात तो खरी पण वैर ही करणा श्रासांण छी, 7 *जी, दीवान ' वात सत्य है । यह खबर मेरे पास भी श्राई है । 2 इतना सुनते ही दीवानके चेहरेका रग फिर गया । 3 किसी थी प्रकार सुलह भी हो सकती है 4 दीवौन दीर्घायु हो 1 राठौडोके बैर का मामला निश्चय ही दुष्कर है । < श्रौर जिसमे चैर भी राव रिशमल का ? 6 यदि घरती (देदाका कोई भाग) देनेसे यह सकट किसी भाँति ट्ल जाय तो (मिरी प्रार्थना है कि) घरती दे दीजिये । 7 यह वात दीवान को भी जँच गई । 8 यहा कुछ दक्ति (करासात) नही है। श्राप यहा जल्दी पहुँच जायें ऐसा उपाय करे | 9 श्राकर फेल गईं ।. (श्रकर लुट पाट करने लगी) इ० देशकी इस दु्देशाका दीवानजी (राणा)को अधिक दु ख हुआ । 17 बहुत ज्यादा । 12 यदि किसी भी प्रकार परस्पर सुलहकी वात हो तो ठीक हो। 3 प्रघान मनुष्योको भेज कर सुलह की वात करवाइये ।. उ4 बडे प्रादमीको भेजने पर ही बात हो सकेगी । 15 पास । 16 श्रर्जे की। 7 जो वात होनी थी सो हो गई । इ8 और यह देवा तो श्रापका ही बसाया हुझा है। श्राप ही मारेंगे तो फिर रक्षा कौन करेगा ? ः




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