मुंहता नैणसीरी ख्यात भाग 3 | Muhta Nainaseerii Khyat Part-iii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.97 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य बदरी प्रसाद साकरिया - Acharya Badri Prasad Sakaria
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).. सूहता नैणसीरी ख्यात + हू दे
आई छे ।”” इतरो सुणतां दीवांण रै मुहडेरो रंग फुर गयो ।” सांखलै
नापे नू कह्यौ-'किणही भांत सुलह पण हुवे ?'* तद नाप अरज करी--
'दोवाण सलामत, राठोडॉरे वैररो मांमलो खरो जोरावर छू ।*
श्र व वैर ही राव रिणमलरों ।' त्यां-प्यां दीवांग खरा ढरण लागा।
तद नापै श्ररज कीवी--जु दीवांग ! वैर जोरावर छे । किणही भांत
धरती दीन्हा टलै तो दीवाण ! धरती दीजे ।* श्रा वात दीवाणरे
पण मनमें श्राई ।
नाप दरबार सौ डेरे भ्राय तुरत रावजी सांम्हां कासीद दोड़ाया |
'जु श्रीरावजी ! झठे बढ कोई न छं। वेगा पधारो सु विध करज्यो ।“
पे श्री रावजीरी फोजां ठोड-ठोड मेवाडमें श्राय लूबी* । देसरो
जछछ जादा दीवांणजीनू पहुतो ।*” दीवांगजीने फिकर सबछो”” हुवो ।
सांखले नापैने कह्यो-जो किणी भांत वात होवे तो भलो हुवै ।“*तद
नाप अरज कीवी-“श्री दीवांग ! परधानों करावों ।”* मोटो मांणस
मेल्यां वात हुसी ।”* तद राणजीरा परधांन श्री रावजी कने '” श्राया,
अरज कीवी ।” “श्री रावजी ! हुणी हुती सु हुई।”” श्ररश्रोतों
मुलक ही थाहरो वसायों छे । थे मारस्यो तो कुण राखसी ? ** तद
रावजी बोल्या-'जु भरा वात तो खरी पण वैर ही करणा श्रासांण छी,
7 *जी, दीवान ' वात सत्य है । यह खबर मेरे पास भी श्राई है । 2 इतना सुनते
ही दीवानके चेहरेका रग फिर गया । 3 किसी थी प्रकार सुलह भी हो सकती है
4 दीवौन दीर्घायु हो 1 राठौडोके बैर का मामला निश्चय ही दुष्कर है । < श्रौर जिसमे
चैर भी राव रिशमल का ? 6 यदि घरती (देदाका कोई भाग) देनेसे यह सकट किसी भाँति
ट्ल जाय तो (मिरी प्रार्थना है कि) घरती दे दीजिये । 7 यह वात दीवान को भी जँच गई ।
8 यहा कुछ दक्ति (करासात) नही है। श्राप यहा जल्दी पहुँच जायें ऐसा उपाय करे |
9 श्राकर फेल गईं ।. (श्रकर लुट पाट करने लगी) इ० देशकी इस दु्देशाका
दीवानजी (राणा)को अधिक दु ख हुआ । 17 बहुत ज्यादा । 12 यदि किसी भी प्रकार
परस्पर सुलहकी वात हो तो ठीक हो। 3 प्रघान मनुष्योको भेज कर सुलह की वात
करवाइये ।. उ4 बडे प्रादमीको भेजने पर ही बात हो सकेगी । 15 पास । 16 श्रर्जे
की। 7 जो वात होनी थी सो हो गई । इ8 और यह देवा तो श्रापका ही बसाया हुझा
है। श्राप ही मारेंगे तो फिर रक्षा कौन करेगा ? ः
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