बांकी दासरी ख्यात | Banki Dasri Khyat

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Banki Dasri Khyat by नरोत्तमदास - Narottam Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४-१८ | राठोड़ांरी वातां' दे सेतराम ४, सीहो ५, आसथान ६, धूहड ७, रायपाठ ८, कान्हर ९, जाल- णसी १०, छाडो ११, तीडो १२, सलखो, १३, वीरमदे १४, चूडो १५, रिंडमल १६, जोधघो १७, सूजो १८, बाघों १९, गागो २०, मालदे २१, उदेसिघ २२, सूर- सिघ २३, गजसिघ २४, जसवतसिंघ २५, अजीतर्सिघ २६, वखतर्सिह २७, विजैर्सिह २८, गुमानसिह २९, मानसिघ ३० । सीहोजी ११, पालीसू सीहैजी कनवज जाय अन्हनू टीको दियो, आप गोयंददाणी गढ वसायो । चाढठीस सासण दिया, वरस १७ राज कियो । पुरोहित साथ बेटा तीनू पालीमे मिलिया । आसथान १२. सीहाजीरे ठीक आसथानजी, खेड गोहिलांरे परणिया. पढें साला प्रतापसीनू कह्मो - डाभी थांहरै वडा ग्रासिया हे, इणनू काढ देवो.. पढें काढ दिया किताक दिना डाभी आसथानजीसू आय मिलिया. डाभी डावा, गोहिल जीमणा. तढाई माथे मार खेंड लिवी. डाभी - गोहिल जिंग तढाईं माथे मराणा उणरों नांव पापेठाई दियो, हमे उणमें गेहू हुवे छे । १३. गासथान सीहावत पाठछी काम आायो । १४. आसथानजी सीहावतरे गोयलाणी राज-छोक है * * ' साथ बेटी ईदी उछरगदे, राणा वूढारी बेटी, दहिया जमलनू परणायी हुती, उणसू अणवणत हुई, आसथानजीरा घरमे पेठी. जैमलरा बेटा - बेटी साथ लिया आयी ही. ऊ दहियो खेडह्दीज मोटो हुयो. उण राठौडरो वैर छलियो. जिणसू दह्ियो तेरे .साखरो तिलक कहावे । १५. बहू ईदी उछरगदे, गोहिल जैमलनू परणायी हुती, राणा वूढारी बेटी, जैमलसू वणियों नहीं, जद आसथानजीरा घरमें पैठी । . धूहड़ १६ घूहड ईंदारो भाणेज आसथानजीरे टीक॑ वे घड़ी” * ** *पड़ियारसू कियो. घूहडनू चहुवाणा मारियो । १७. आसथानजीरा धूहूडजी धूहडजीरा बेटारी विगत - रायपाठ महिरेठण १ जोगाइत उडणो २. वेगड कटारमल ३. जा गजउछाठ ४. क्रीतपाठ अतैउर- सिणगार ५ पेथड हाक-ववाठछ ६ कहाणों । १८. सरगधरीरी कोठ्ू पाबूजीरो उतन. फलोधीरी कोछ्ू काम आया ।




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