हिंदी शब्दसागर | Hindi Shabdasagar Bhag-4

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सैर कु० सैर कुद्दसार, पं० रतननाथ 'सरशार,' नवल- किशोर प्रेस, लखनक, च० सं०, १९३४ ई० सौ प्रजान० (शव्द०) सो भजान भर एक. सुजान, श्रयोध्यासिदद स्कद्० स्वणुं ० उपाध्याय 'हुरिमोष' स्कंदयुप्, जयशंकर प्रसाद, भारती भंडार, लीडर प्रेस, प्रयाय, प्र० स० स्वरुंकिरण, सुमि्रानंदन पंत, लीडर प्रेस, प्रयाग, प्र० स० स्वामी दरिदास (शब्द०) स्वामी दरिदास हस० नि हनुमान (शब्द० ) हुंसमाला, नरेंद्र शर्मा, भारती मंडार, लीडर प्रेस, प्रयाग, प्र० स० इहकायकै हिंदी, ले० मीर श्रब्दुल वाइिद, प्र० सपा० “रुद्र' काशिकेय, ना० प्र सभा, काएणी, प्र० स० हनुमघ्नाटक हनुमान कवि (शत्द०) हुतुमान कवि (शब्द० ) हुम्मी र० हु० रासो० हरिजन (शब्द०) हुरिदास (शन्द० ) हरिश्चद्र (शन्द०) हरिसेवक (शब्द०) हरी घास० शक ह्ष शक झें० झ्् झक ० रूप झ्रतु ० परतुष्व ० झंपुं ० मु० भअतुर० झप ० भ्रम मा ० झल्पा झय ७ हम्मीरदठ, सपा०. जगन्नायदास “रत्नाकर,' इंडियन प्रेस, लि ०, प्रयाग हम्मीर रासो, सपा० ढा० पश्यामसु दरदास, ना० प्र० सभा, काशी, प्र० स० कवि दरिजन स्वामी दुरिदास भारतेंदु दरिश्चद्र हुरिसिवक कवि हरी घास पर क्षण मर, झज्ञेय, प्रगति प्रकाशन नई दिल्‍ली, ६६४९ ई० हर्पचरितु - एक साध्कितिक भष्ययन, वासुदेव- शरण भग्रवाल, बिहार राष्ट्रमापा परिपषदु, पटना, प्र० सं०, १९५३ ई० हालाहल डटिंदी भा० हि का० ब्र० द्वि० क० की ० दिंदी प्रदीप (शब्द०) हिंदी प्रेमगाधा हिंदी प्रेमा ० दविं० प्र० थचि० ट्वि ० सा० सु 0 द्विदु० सम्यता हिम कि० द्विम त० हिम्मत ० द्विल्लोल टुमायूं हृदय ० हालाहल, हरिवशराय बच्चन, मारती मंडार प्रयाग, १६४६ ई० हिंदी पालीचना हिंदी काव्य पर भ्रांग्लि प्रभाव, रवींद्रसह्वाय वर्मा, पद्यमजा प्रकाशन, कार्नपुर, प्र० सं० हिंदी कवि भर काव्य, गणेशप्रसाद द्विवेदी हिंदुस्तानी एकिर्मी, इतादाबाद, प्र० सं० हिंदी प्रदीप दिंदी प्रेमगाथा काव्य सग्रद्, गणेशप्रसाद दिवेंदी, हिंदुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद, १९३६ ई० दिंदी प्रमास्यानक काव्य, ड.० कमल कुल शेप्ठ, चौधरी भानसिद्ध प्रकारान, कच्ूरी रोट हिंदी काव्य में प्रकृतिथिश्रण, किरणकुमारी गुप्त, टिदी साहित्य स मेलन; प्रयाग हिंदी साहित्य फी सुमिका, इजारीप्रसाद छ्िवेदी, द्विदी प्र थ रत्नाकर कार्यालय, बंबई, हू० संग, १६४५८ हिंदुस्तान की पुरानी सम्यता, बेनीप्रसाद, हिंदुस्तानी एकेडसी, प्रयाग, प्र० स० हिमकिरीषिंनी, माखनलाल चतुर्वेदी, सरस्वती प्रकाशन मंदिर, इलाहाबाद, तु० सं० दह्विमतरगिणी, माखनलाल चतुर्वेदी, भारती: भडार, लीडर प्रेस, इलाहाघाद, प्र० सं० द्विम्मतवद्दादुर बिरुदावली, साला भगवान- दीन, ना० प्र० सभा, काशी, द्वि० स० हिल्‍्लोल, शिवमगल सिं्॒'सुमन”, सरस्वती प्रेस, बनारस, द्वि० स० हुमायू नामा, घनु० ब्रजरत्तदास, ना० प्र० सभा, वाराणसी, द्वि० स० दृदयतरंग, सत्यनारायण कविरत्न [ न्याकंरण, व्युत्पत्ति छादि के संकेताधर्रा का विवरण || झुंग्रे जी धघरवी झकर्मक रूप झनुकररा शब्द झनुध्वस्यात्मक शनुकरणार्थमुलक झसुरणनात्मक रूप श्रपश्रश भ्रबेमागघी ध्रल्पार्थक भवषी झय्य ० इब० स० उच्चा ० उडि० उप० चमय ० एकब्‌ ० कहावत काव्यशास्त्र (बेनु, (करण अय्यय इबरानी उदाहरण उच्चारण सुविधायं उच्या उपसर्ग उमयलिम एकवचन कहावत काव्यशास्त्र पभन्य कोश




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