कब्ज या कोष्ठाबध्दता | Kabaj Ya Kostha Datta

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Kabaj Ya Kostha Datta by डॉ. वालेश्वर प्रसाद सिंह - Dr. Valeshvar Prasad Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ. वालेश्वर प्रसाद सिंह - Dr. Valeshvar Prasad Singh

Add Infomation About. Dr. Valeshvar Prasad Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(५९) तैल पदार्थ--जिससे इम झपने शरीर के लिए गर्मी पाते हैं या जिससे काम करने की शक्ति मिलती है. उनमें तैल पदार्थ एक मुख्य चीज है । ज्यादा तेल वाले पदार्थ ये हें --मकसन थी) चर्वी हर प्रकार का तैल ्ादि । क्वोज--यहद भोजन का मुख्य भाग है। इसम सभी श्रकार के श्वेतसार (30५00) और शकर मिली दे। यदद इन्घन का कास फरता है । यदि दम पाँचों प्रकार के पदार्थ प्रोटीन तैल पदार्थ कर्वोज सनिज लवण और विटामिन्‍्स उचित परिमाण में खायें ता पाचन क्रिया बडी ही उत्तम होती दै । पर यदि कर्बोज ज्यादा परिमाण में हो तो ाँत में वायु उत्पन्न होती है और मल भी ज्यादा दाता है । मल का उयादा होना खेराय है. । कर्याज में सेलुलोज़ ( 0०1ए1०56 ) होता है। यदद दर प्रकार की भाजा में मिला होता है । इसको भाजी का रेशा कह सकते हैं। इस पर श्मान्नरिक रसों का कु भी असर नहीं होता और यह ठीक उसी हालत मे शरीर फे बाहर दो जाता है । भोजन में ऐसे पदार्थों का दोना बहुत ावश्यक है । इसलिए जिसको कोप्ठबद्धता की बीमारी है उसको पत्तेदार भाजनी श्धिक साना चाहिये । विशेषतत फथ्ची भाजी सैलेड इत्यादि के रूप में उनके लिए यड़ी ही लाभटायक होती है । कुछ फल भी ऐसे हैं जिनका ग्रसर ातों पर बडा ही श्रच्छा होता है जेसे ्जीर सुनका 1 इसके खाने से पेट साफ़ होता है । ऐसे भ्नेर फ्ल हैं. जिनका अझसर श्ञातों पर इलके जुलाब का सा दोता है। हर मनुष्य को अपने लिए ऐसे फलों को चुन निकालना चाहिये । ष्द




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now