हिंदी उपन्यास का विकास और नैतिकता | Hindi Upanyas Ka Vikas Aur Naitikata

Book Image : हिंदी उपन्यास का विकास और नैतिकता - Hindi Upanyas Ka Vikas Aur Naitikata

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ० सुखदेव शुक्ल - Dr.sukhadev shukal

Add Infomation AboutDr.sukhadev shukal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
है साहित्य श्रौर नैतिकता ( सिद्धान्त पक्ष ) कि वर्तमान युग में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नैतिक प्रइन अधिकाधिक उभर कर सामने भा रहे हैं मोर हरेक का ध्यान अपनी भोर खींच रहे हैं । क्या विज्ञान और राजनीति क्या उद्योग भौर समाज-व्यवस्था क्या धमं भर शिक्षा भौर क्या दर्शन एवं साहित्य--इन सभी में नेतिकता और नेंतिक प्रदनों के प्रति बढ़ती हुई रुचि तुरस्त दिखाई दे जाती है । उदाहरण के लिये जब हम विज्ञान की श्रगति अथवा इस प्रगति के मन्तिम लक्ष्य के बारे में विचार करते हैं तो हमारा चिन्तन इस प्रश्न के नैतिक पहलू के प्रति बरबस माऊुष्ट हो जाता है। यही बात राजनैतिक सिद्धान्त भर आन्दोलन साहित्य-सुजन और साहित्य के लक्ष्य गादि जीवन के इतर क्षेत्रों के बारे में भी सत्य है। जब तक हम इन विविध क्षेत्रों से सम्बन्धित प्रदनों के नैतिक पहलुओं पर विचार न कर लें तब तक हमें अपना चिन्तन अधूरा भौर भपने निष्कर्ष दोष- पुणे प्रतीत होते हैं । अतः सम्यक्‌ चिन्तन एवं सम्यक्‌ निष्कषे-निर्घारण में नैतिक दृष्टिकोण का महत्व इस बात का साक्षी है कि वततेमान युग का रुझान नैतिकता भर नैतिक प्रदनों की ओर उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है । चेतिक संक्रमण का काल नैतिकता के इस बढ़ते हुये सद्त्व के बारे में यदि हम थोड़ा-सा विचार करें . तो इस महत्व का मूल कारण स्पष्ट हो जायेगा । भाज हम जिस युग में रह रहे हैं उसमें नवीनता गौर प्रगति का बोलवालः है । पुर।ने जीवनादशों के स्थान पर नये जीवनादर्शों की प्रतिष्ठा हो रही है गौर पुरानी जीवन-प्रणाली के स्थान पर नई जीवन-प्रणाली अपनाई जा रही है । इतना ही नहीं धीर्मिकता भीर नै तिकता को श्रद्धा और आध्यात्मिकता की पुरानी कसौटियों के बजाय तर्क मौर .बुद्धिवाद की नई कसौटियों पर परखा जा रहा है । इस प्रगंति श्र नवीनंता कां आगे चल कर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now