जातक तृतीय खण्ड | Jaatak Vol.-3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
210.03 MB
कुल पष्ठ :
509
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भदंत आनंद कौसल्यायन -Bhadant Aanand Kausalyayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १९ |
१, कणबेर जातक २२६
[ब्यामा ने नगर-कोतवाल को हजार दे डाकू की जान
बचाई और उस पर आसक्त होने के कारण उसे अपना स्वामी
बनाया । डाकू उसके गहने-कपड़े ले चलता बना 1)
३१९. तिलिर जातक २३१
[चिड़िमार फॉसाऊ-तीतर की मदद से तीतरों को फैंसाता
था। तीतर को सन्देह हुआ कि बहू पाप का मागी है वा
नहीं ? ]
३२०८ सुच्चज जातक २३३
[रानी ने राजा से प्रछा--यदि वह पर्वत सोने का हो
जाय, तो मुझे कया मिलेगा? राजा ने उत्तर दिया--तू कौन
है, कुछ नहीं दूँगा । |
३० कुटिदूसक वग २३८
३२१. कुटिवूसक जातक २३८
[बन्दर ने बये के सदुपदेश से चिढ़कर उसका घोंसला नोच
डाला |]
३२९. दहभ जशातक २४९
[खरगोश को सन्देह हो गया कि पृथ्वी उलट रही है। सभी
अन्थ-विदवासियों' ने उसके. अनुकरण में मागना. आरम्म
किया । )
३२३८ ब्रह्मदत्त जातक २४५
[ब्राह्मण ने बारह वर्ष के संकोच के बाद राजा से एक
छाता और एक जोड़ा जूता भर माँगा। |
३२४, अम्मसाटक जातक २४९
[मेढा ब्राह्मण पर चोट करने के लिए पीछे की ओर हटा ।
ब्राह्मण ने समझा मेरे प्रति गौरव प्रदर्शित कर रहा है। |
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