विजय यात्रा | Vijay Yatra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.34 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यात्रा 3 के ् 2 थे श् आलोक भगवान् ने कद्दा--गोतम । जीव अ्रिकालवर्ती दै- शाश्वत है । इन्द्रिया उसे नद्दीं जान सकतीं । वह अरूप है इत्द्रिया सर्प को ही जान सकती है । मानसिक चथ्वढता रहते हुए आत्मा या स्व की अनुभूति नह्दीं होती। वह अनन्त ज्योतिमंय जीव शरीर इत्द्रियि और सन से परे है।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...