मीरा की प्रेम साधना | Meera Ki Prem Sadhana

Meera Ki Prem Sadhana by भुवनेश्वरनाथ मिश्र (माधव) - Bhuvaneshvarnath Mishra (Madhav)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( घथ| ) पिया तेरे नाम लभाणी हो (२४) पिया मोहि दरसण दीजें॑ हो (७७) पिया बिन रहयो इ ना जाइ (१९६१) प्यारे दरसण दीज्यो भाइ (२३) प्रभूजी थे कहाँ गया नेहडी लगाय (१५५) प्रभुजी में अरज करूँ छू (११) प्रीतम कू पतिया लिखू ( १७०) प्रभु बिन ना सर माई (१६५) प्रेमनी प्रेमनी प्रेमनी रे (१३६) फागून के दिन चार रे (१९४) बढ़े बदगी मत भूल (२०३) बड़े घर ताली लागी रे (४०) बदरा रे तू जल भरि ले अ। यो (११४) बरजी में काहू की नाहि रहूँ (९०) बसो मेरे नैनन में नदलाल (७) बादल देखि झरी हो स्याम (१९८) बाल्‍्हा में बंरागिण हँंगी (१२६) भई हौ बावरी सुनके बाँसुरी (१४३) भज मन चरण कमल अबिनासी (२०६) भर मारी रे बाना मेरे सतगुरु (४३) भुवनपति तुम घर आज्यो हो (१७६) भीजे म्हारो दामन चीर (८२) मतवारों बादर आए रे (१९७) मनुखा जनम पदारथ पायो (२१०) मन रे परसि हरि के चरण (४) नहाने चाकर राखो जी (२२) माई मोरो मोहने मन हर्‌यो (१४०) माई स्हॉने सुपने में परण गया जगदीस (१०६) माई म्द्वारी हरि हूँ न बूझी बात (१५७) माई री में तो छियो गोबिन्दो मोल (३९) मिकता जाज्यो हो गुरुग्यानी (४८)




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