राणा जंग बहादुर | Rana Jung Bahadur

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Rana Jung Bahadur by जगन्मोहन वर्मा - Jagnmohan Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(दे) शांति स्थापन कर मद्दाराज प्ृथ्वीनारायणशाद के शासन के चहाँ दृढ़ कर दिया । उसके इस काम से लक दे मददाराज पृथ्वीनारायणशाद ने रणज्ञीतकुमार को अपने प्रधान चार काजियांक# में नियत किया . . मद्दाराज प्रथ्वीनारायणशाइह के परलो के प्राप्त दाने पर काजी रणुज्ञीत राणा.ने उनके पुत्र महाराज सिंदप्रताप के समय में सामेश्वर झोर-उपदंग के मांतिं के विजय कर गेरस्रा साधा ज्य में मिलाया श्रौर छः चर्प प्रीछे मद्दाराज सिंदप्रताप के पुत्र महाराज रणब्रह्ाडुरशाह के समय में उन्हींने तन्हर कस्का सौर लमजंग नामक पहाड़ी प्रदेशों के जीत कर गारखा साम्राज्य में मिला दिया सन्‌- १४९९ में जब मैंपाल शरीर तिब्बत के चीच लड़ाई .ठनी ता रणजीतकुमार ने उसमें झपना यड़ा कौशल दिखाया और -जीतपुर फट्टी को लड़ाई में तिव्यतियें आर चौनियां की सेना को सितंबर सन. १७९२ में परास्त किया । कमाउँ.की लड़ाई में थी उन्हेंगने श्पनी चड़ी-दक्षता प्रदर्शित को थी शरीर कमाएउँ फे राजा के पराजित कर भग दिया था पर जब यहाँ के राजा संसारयंद ने पंजाव-फेशरा महाराश्न रणुजीतर्सिदह की सहायता से फिर युद्ध झारंभ किया तब रणजीतकुमार रणभूमि में मारे गप। - राणा रणज्ञीतकुमार. के तीन लड़के थे--दालनरसिंद तयतएल्‍एएसलआपयसटलसटटटटयलट००० कस पपम्यन्यलनदामससमदययतत्यासमपमससमक शा दर देश के वे कम्मंचारो जा दीवानी के मुझदमों का फैसला है लन्द हु. नर




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