हिंदी - शब्द सागर खंड - ५ | Hindi - Sabd Sagar Part-v

Hindi - Sabd Sagar Part-v by जगन्मोहन वर्मा - Jagnmohan Varmaभगवानदीन - Bhagawanadeenरामचंद्र शुक्ल - Ramchandra Shuklरामचन्द्र वर्म्मा - Ramchnadra Varmmaश्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

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जगन्मोहन वर्मा - Jagnmohan Varma

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भगवानदीन - Bhagawanadeen

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रामचंद्र शुक्ल - Ramchandra Shukla

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रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma

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श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फिरना कि प्र०नकागा न देना । फिरना-फिं+ अब हिं० केरसो मा कर्म रूप (१) इघर इघर चलना । कमी इस शोर _फभी उस ओर गमन करना | इपर उघर डोलना । ऐसा चलना जिसही फाई पुझ निश्चित दिशा न रहे । भ्रमण काना । जैसे एक.) पढ़ घूप में दिन मर फिस काता है | (स) बढ़ चंदा इकट्टा काने के लिए . फिर रहा है । ब०--(क) लेद दढ़ानी जाद़ि घर ऐरस फिंत सा जेइ । पिप चावदि अप इष्टि सोहि धन नपन डरेद ।1--मायसी | (ख) यृद्चित निर्दि रविश्द भर यारी । फिरिदडि गग जिमि जीव दुधारी 1--तुलसी । (ग) फिरत सनेद सगन सुख अपने । नाम मताप साय नदि सपने।-- शुलसी । (२) रृदलना । विदरना । सैर करना । जैसे सैप्पा को इघर इधर फिर आया करो | यौ०-दूमना फिरना 1 (३) चफर लगाना 1 यार यार फो साना । कट्टू की तरद एक ही स्थान पर घूमना भपया मंडल वाधघिरर परिधि के किनारे घूमना । नाचना था परिक्रमण करना । जैसे लट्टू छा फिरना पर के चारों ग्रोर फिरना । ४०--(क) फिरत नीर जामन उस पाका । जैसे फिर फुम्दार के थाका ।--- जायसी । (सर) फिरें पाच फातघाल से फेरी । बर्पि पाँव वपत यह पैररी 1--जायसी । (४) ऐंडा जाना । मरोढ़। जाना । जैसे साली किसी श्रोर का फिएती दी नहीं है । _(श) लैटना । पटना | चापस दाना 1. जहां से चने थे बसी थे।र को चलना । प्रह्यावहिंत दाना । जैवे (को थे घर पर मिने नहीं मैं तुरंत फिरा । (खत) आगे सत जाधे भर फिर ज्ञाध्ा । स०--रक) आप जनरपनी जे लिखी । देव असीस फिरे ज्योतिषी ।-जायसी । (ख) पुनि पुनि विनय करहि का जारी । जो यदि मरग फिरिय पदारी । द्रसन हेप जानि निम्र दासी । उखी सीय सय प्रेंमपियासी ।-- तुढसी 1 (ग) अपने धाम फिरे -तय दोऊ जानि भई कह साँग 1 वरि दुंडचत परसि पद क्षि के पढें उपघन मास । ८ . सूप । संया० कफ्रि०-पाना ।1-जाना ।-पड़ना । द (६१ किसी माल ली हुई धस्तु का धस्वीकृतः देकर मेचनेवाले को फिर दे दिया जाना । यापस देना । सैसे - जब सादा दो गया तप चीज नहीं फिर सकती । संया ० श्रि०-जाना 1 (७) एक दी स्यान पर रहकर स्थिति धदठना । सामना दूसरी तरफ हो जाना । जैस घक़ा लगने से सूति का सुँद बघर फिर गया 1 सये० पेक्कि०नजाना | (5) किसी ्रार नाते हुए दूसरी ार चल पड़ना । रद१४ फिपक युड़ना । घूमना । चलने में रुघ घदलना । जैसे कुछ दूर सींघी गली में जाकर मंदिर की घोर फिर जाना । संया।० फ़ि०-जामा । सुदा०-कफिसी ्रोर फिगा स्ू प्र होना | शुफना | मायज हना । जैसे उसका कया जिघर फेते उधर फिर जाता है । ध्न्तसि मति फिरी अद् जसि भावी ।-तुलसी | जी फिरना स्‍ खित्त ने प्रइत रहना । उनट जाना | इुट जाना | विसक्त द्वो जाना । (४) विदद्व दा पड़ना । ख़िटाएा हो जाना । विशेध पर इधन द्ोना | उड़ने पा मुकायठा करने के लिए तैपार दा जाना । जैसे षात ही घात में चद मुकते फिर गया 1 मुद्दा० -(फिसी पर) फिर पढ़ना न वियद्ध देना ।मुद्ध होना । विगइना । (१०) श्र का और होना । परिवर्तित द्वेता घद्छ जाना । इलटा देना । पिपरीत देना । जैपे सति फिएना । इच्न्छाल पाद फिल्‍ति दुसा दयालु सब दी की ते।दि बिनु मेद्धिं कबहूँ न कोइ चदिगों । यचन करम दिय कीं राम सौंद किए छुनटसी पै नाथ को निदादे निवर्रिगो ।-शुटसी। संये।० प्िंप-जाना 1 सुद्दा०-सिर फिरना नयुद्धि श्र्ट देना । उन्माद हैना । (११) बात पर दढ़ न रदना । प्रतिज्ञा धादि से विचलित हे।ना । इटना । जैसे वदन से फिरना कौछ से किरना । संये० फ़ि०न-जाना । (१२) सीधी वरतु का किसी शोर मुहना । सुझना । देढ़ा दाना । गैते इत फाबड़े की घार फिए गई है । सपा ० क्रि०- नाना । (१३) चारों शोर प्रचारित दोना । घोषित होना । जारी दोनों । सपके पास पहुंचाया जाना । लैसे गश्ती चिट्ठी फिरना दुदाई फिनना । उ०--(क) नगर फिरी. रघुयीर दुद्दाई ।--ठुलसी । (ख) मदद ज्योनार फिरी- सैइवानी । फिर घरगना कुहूकुइ प्रानी अ--जायसी । (१४) किसी चस्तु के ऊपर पोता जाना । लीप या पोतशर फौलाया जाना । घड़ाया जाना । जैसे दीवार पर रंग फिरना जूते पर स्वाद्दी फिरना । (1१३) यर्दा से वर्दी सक स्पर्श करते हुए जाना 1 रखा जाना । ही कि फिस्या-संज्ञा पु० दिं० फिरना (१) सोने का. पुक श्ाभ्ूपण लो गले में पदना जाता है । (२) सोने की थेंगूठी जी तार । को कई फेरे छपेटकर घनाई गई दो । - फिस्चाना-क्रि० स+ दिं० फेरना का प्रे०] फेरने का कास कराना | किंव स० दि सफिंसनार का प्रे७ है फिराने का काम कराना 1 फ़ियक-संज्ञा पुं० भ० (१) वियोग। विछोंद । (₹) चिंता 1 सोच । सटका 1. (३) दोद । स्पोज | ... उ ... .




User Reviews

  • rakesh jain

    at 2020-12-05 15:02:11
    Rated : 8 out of 10 stars.
    THE CATEGORY OF THIS BOOK MAY BE REFERENCE BOOKS, EDUCATIONAL/OTHERS, LANGUAGE/HINDI. ONE MORE CATEGORY HEAD SHOULD BE OPENED IN NAME OF DICTIONARIES. UNDER THIS HEAD SUB HEADS SHOULD BE OPENED LIKE - HINDI, SANSKRIT, MARATHI, GUJRATHI AND OTHERS. THIS BOOK MAY ALSO BE PLACED UNDER DICTIONARIES/HINDI.
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