नाच के बाद | Nach Ke Bad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.16 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इटूत बड़ी थी, पर कितनी थी, यह वह खुद भी न जानता था। उसके
पाप निजी सीन हजार स्वस के अलादा पत्टन के सड़ाने के पन्द्ह
हदार रूदल और भी थे, और ये दोनो रकसे कद की एक दूसरी मैं
मिल चुझी थी । अब वह वेकाया रकम गिनने से घदरा रहा था कि
कहीं उसका यह डर ठीक ही साबित न हो कि वह अपनी पूथी हारे के
अलादा पत्टन की रकम में से भी कुछ हार चुका है। दोपहर हो रही
थी जब वह सोया और सोते ही गहरी, निस्वप्न नींद में खो गया ।
तेसी नीद केवल जवानी के दिनों मे, और वह भी जुए में घहुत कुछ
हारने के वाद हो आती है। बह छ' बडे शाम को उठा, ऐन उस वक्त
अब क'उण्ट तुर्दीन होटल में कदम रख रहा या । फर्य पर जंगह-अगद
ताश के पत्ते और चाक बिग पड़े थे। कमरे के वीचोवीच रखी मेज्रों
वर धब्बे हो घब्वे पड़े थे । उसे देखकर उसे पिधली रात के जुए की याद
आई और देह सिर उठा, विशेषकर अपने आखिरी पत्ते, एक गुलाम
को याद करके, जिसपर वह पाच सी रूबल हारा था । पर उसका धन
अब भो उसकी वास्तदिक स्थिति को सानने ये इस्कार कर रहा था ।
उसने तंकिये के नीचे से अपनी पूजी निकाली थौर झसे गिनने लगा।
कई एक नोट उसने पहचान लिए। जुआ खेलते समय, वे कई हाथ बदल
श्युके थे । उसे अपनी सभी चालें याद आ हो आईं। वह अपनी सारी
रकम, तीने के लीन हार रूवल खो बैठा था । इसके अलादा पत्टन
के पैसों में से मी बदाई हडार हूवल हार चुका था ।
उल्हन सगातार चार दिन से छेल रहा था।
जब वह भास्को से चला तो उसके हाथ में पत्टन का पैसा सौंपा
गया था। जद बहू क० नगर में पहुंचा तो घोड़ाचौंकी के अफसर ने
यह कहर्फर उसे रोक लिया कि नये थोड़े इस वेकत नही मिल सकते ।
मगर यह एक बढ़ाना था, दरअसल अफसर और होटल के मालिक के
चीच साठ-गाठ थी कि रात के वक्त सुसाफिरो को आगे न जाने दिया
जाएं। उल्हन खिलाड़ी तवीयत का जवान था । मा-बाप ने पत्टन में
अफसर बनते पर उसे तीन हडार स्वल उपदार में दिए थे । यह देख+
कर कि चुनाव के दिनों में क० नगर से बडा सौज-सेला रहेगर, उसे कुछ
दिन रुक जाने में कोई आपत्ति न हुई, बल्कि वह खुश हुआ कि दिल
खोलकर मौन सु्ेंगें। पास ही बही देहात मे, उसका एक परिचित
समीदार रहता था । बढ घर-गृदस्यीदाला कुलीन सज्जन या । उच्दून
्शू
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