वनस्पति कोश | Vanspati Kosh

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Vanspati Kosh by सुधांशु कुमार जैन - Sudhansu Kumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ कुछ स्थानों पर पौधे के नाम की बजाय उससे घाप्त उपयोगी पदार्थ का नाम दिया गया है, जैसे--वंसलोचन, सोंठ आदि |) जहाँ दो अथवा दो से अधिक विभिन्‍न जाति एवं प्रकार के पौधे एक ही देशी नाम से पुकारे जाते हैं, कोश में ऐसे देकी सलाम अलग-अलग दिए हैं । ः कुछ सुख्य फसलों (जैसे--गेहूँ, जवार, चावल आदि) की अनेक किसमें (जातियाँ 56८०५, उपजात्तियाँ 2ए७५छ७०४५, प्रजातियाँ घापंटि5 तथा प्रकार 0४) भारत के भिन्न भागों में उगाई जाती हैं । उन सबका वर्णन यहाँ संभव नहीं था, उनमें से एक-दो किस्मों के नाम यहाँ दिए हैं 1 बहुत-से पौधों के नाम एक दाब्द-विशेष के साथ भिन्न विशेषण जोड़ कर दिए जाते हैं, जैसे--काली सूसली, सफ़ेद सुसली, बंदगोभी, साँठगोभी, फूलगोभी आदि । कोदा में ऐसे शिनन नाम मुख्य दाव्द के नीचे ही दिए हैं, अर्थात्‌ भूसली झव्द पर आधारित सब नास “भूसली' के नीचे दिए हैं 1 सब प्रकार की गोभी, गोभी दान्द के अन्तगंत दी गई है । पौधों के चहुत-से नामों का अपभ्रष हो गया है और भिन्न पुस्तकों में उनके भिन्न छ्िज्जे प्रयोग हुए हैं, जैसे--असगंघ, असगंघा, अदागंघा, अच्वगंघा गमादि | कोस्त में प्रायः वह हिज्जे दिए हैं जो 'वनौषधि चन्द्रोदय” अथवा हिस्दी कोदों ने अपनाए हैं । कुछ पौधों को साधारण जनता भंप्रेज़ी नामों से अधिक मच्छी तरह जानती है, जैसे-एजूट । ऐसे शब्द कोश में अपना लिए गए हैँ । हिन्दी अथवा ह्िस्टुस्तानी चामों के उपरांत पौघे के उपयोग का संक्षिप्त में संकेत है । भारतीय पौधों के गुण-दोप पर वृहत्‌ साहित्य हिल्‍्दी में है, और उस विषय पर यहाँ लिखने का आदाय नहीं है । अधिकांदा उपयोगी पौधे कई प्रकार से प्रयोग में लाए जाते हैं । इनमें से जो मुख्य उपयोग पौधों के हैं केवरू उन्हीं को छोटे दाव्दों या संकेताक्षरों द्वारा यहाँ दिखाया है । संकेताक्षरों की सूची पृ० १८ पर दी हुई है । तडुपरांत, पौधे का लटिन नाम दिया है । पहले स्वीकृत लटिन नाम देवनागरी लिपि में लिखा है । इससे पाठक लैटिन नाम का सही उच्चारण जान सकेंगे । उसके उपरांत लेटिन नाम जंग्रेज़ी लिपि में दिया है । पौघें का नाम रोमन छपाई में है और इस नाम को देने वाले वैज्ञानिक का नाम इटेलिक छपाई में । गुरुकोष्ठक के अन्दर इटेलिक छपाई में कुछ अधिक प्रचलित किन्तु अस्वीकृत (रद्द) लैटिन नाम दिए हैं । भौषघीय पौंघों से सम्बन्धित बहुत-से साहित्य में जे अस्वीकृत नाम आते रहे हैं । इनको यहाँ देना उपयोगी एवं मावद्यक था । यहाँ वैज्ञानिकों के नाम. रोमन छपाई में हैं । पुस्तक के मन्व में दी हुई परिदिष्ट सूची नं० र में वे सभी स्वीकृत तथा मस्वीकृत वंकों के लैटिन नाम; जो कोश में भा गए हैं, चर्णक्रम के अनुसार




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