मृत्यु - रहस्य भग 1 | Mrutyu Rahasya Part1

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Mrutyu Rahasya Part1 by श्री नारायण स्वामी - Shree Narayan Swami

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हर श्प्र मुत्यु रहस्थ करार सपा पल पिला कलर सलावीफ सियासी नकी पिला हा खहदाव, निराधितो का आश्रय, विरावलम्बों का अवलस्वन है । दुनियां के .बड़े २ वैद्य, डाक्टर, राजा सहाराजा ब्ौर साहकार प्रसन्न होने पर केवल शारीरिक कर्याण का कारण बन सकते हैं परूतु मानसिक ब्यथा से दयथित नर नारी के शास्ति का कारसखु तो वही घ्रसु है, ज़ी इस हृदय मन्दिर में विराजमान है और दुनियां के लोगों की तरह उसका सम्बन्ध सनुप्यों से केवल शारीरिक नहीं किन्तु मानलिक अर व्यात्मिक भी हीं, नहीं है, जो मर्भ में जीवों की रक्षा करता हे वही हे जो वहाँ कीट पंतगों तक वी भी, रक्ता करता हे, जहां मनुष्यों की बुद्धि भी नहीं पहुंच सकती,पक पहाड़ का आाग.खुरंग से उड़ाया जाता है, पहाड़ के टुकड़े २ दोजाते हैं एक टुकड़े के भीतर देखते हैं कि एक तुच्छ॒॒ कीट है, जिस छे घास कुछ दाने अन्न के भी एड हैं , बुद्धि चकित होजाती है, तक काम नहीं देता, मन के संकरप-विकद्प थक ज्ञाते हैं , यह केसा चमत्कार है, हम स्वप्न तो नहीं देख रहें हैं ? भला इस कठोर हृदय पत्थर के भीतर यह कीट पहुंचा तो पहुंचा केसे? व्यौर उसको वहाँ यह दाने मिले तो कैसे मिले ? कुछ समभक में नहीं अाता, सचुष्य के जब झन्ताकरणु थक जाते हैं. और काम :नहीं करते तो चह्द आ्ाश्ययं के समुद्र में डुबकियोँ लेने लगता है, श्रन्त में तके और . घुद्धि का हथियार डाल कर मचुष्य बेखुघ. सा हो जाता है । ब्नायास उसको हृदय श्रद्धा स्तर प्रेम से पूरित हो गया, इश्वर की इस महिमा के सामने शिर झुक पड़ा और हृदेय से एक साथ निकल पड़ा कि प्रभु नाप विचिन्न हो आप के कौोय सी बिदित्र हैं >..->लसतरासरू यदसमा्पादाामाकिनयइडिकककिफक पाप




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