ग़ज़ल संग्रह भाग 1 | Gajal Sangrah vol - I
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.34 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उ>सयमनमाग ८ १ -
गसल २७
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सरते दमन जिसकी जुदपर सास ईश्वर अणिया ।
बेघड़स हो वोटह्ी जने बैकेंठ को सीघागया या :
छोड स्ायाजाल जिसने नाम परयइवर रटठा ।
छूटा आवागप्त उसका ये वे! पढदुची 'वोगया | |
जो विमूुख उस सामसे हग्श सम उसका भी ट्वाल।
नौॉँघरर पमदूत उसकों नें थे लेजायगा ॥
जो गया दुनियां से बफेर उसझा पता पाया सही 1 2
। खाई घरती या बम्बः टूद उसको खांगया पा !
जिसका सोइुनलाल कुछ घर्ती 'दू्याएँं ध्यान हु 1
पाकें पदवी स्वगक्की दो होके बेपरवा मैया ॥ |
दल ': गजल ॥२६॥ ;
रा इंडवर मा छलका जो बशर अपने लटाले- हूं । $
तो कछ च्ानन्द इस ससार का बोर उठाते हैं ॥ |
बढ़ी पदवी उन्हें मिलती हे इस संसार सायर सें । .)
कि जो हस्ती को च्मपदी राह हेडचर में मिटाते :हूं॥
नजर इस जहूर उलका.हरएक ज़रंम आता, दे,
हुरएक॑ जन जों कि ।जिलकों तीरथां से कूद चात-द्द का _
4 जो जन. सक्तीमें उसकी जानो तनमपना लगाये हूं: ।
कै».
जहाँ चाई दुर्श फिर वो वहीं बस उसका पाते
'गिरंदा' तीनों पतन गफलतलद्दी गफलत मे गये तेरे । |
रहें दें दिन जो बाक़ी ये भी न्मब बेकॉर जतिना :
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