कविता संकलन - शिवराज आनंद | Kavita Sankalan - Shivraj Anand

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Kavita Sankalan by शिवराज आनन्द - Shivraj Anand

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

शिवराज आनन्द - Shivraj Anand

साहित्यिक नाम- शिवराज आनंद
मूल नाम - शिव कुमार साहू।
माता - श्रीमती पार्वती साहू ,
पिता - श्री विश्वनाथ साहू।
जन्म - 1987 में सूरजपुर एवं रामानुज नगर के सीमावर्ती क्षेत्र ग्राम सोनपुर के एक कृषक परिवार में । आपको हिंदी बहुत ही प्रिय है। आप साहित्य प्रेमी हैं।

Read More About Shivraj Anand

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जिनके दिल टूटे हैं चलते कदम थमे हैं, वो जीना जानते हैं | ना जख्मों को सीना जानते हैं || तुम उन्हें भी अपना लो |प्यारे तुम मेरी बात मान विश्व बंधुत्व का भाव लेकर, जन- जन से बैर भाव छोड दो | "यहा उनका भी दिल जोड़ दो" || हम सब के ओ प्यारे, किस कदर हैं दूर किनारे। जीत की भी क्या आस रखते हैं मन मारे ? ये मन मैले नहीं निर्मल हैं, सबल न सही निर्बल हैं, समझते हैं हम जिन्हें नीचे हैं, वे कदम दो कदम ही पीछे हैं, जो हिला दे उन्हें ऐसी आंधी का रुख मोड़ दो | यहाँ भी दिल अपने दिल से जोड़ दो ||




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now